मैं मानसिक हलचल में नीचे आने वाले Daily Essential Thoughts के लिये या तो पुस्तकों से कोटेशन टाइप करता हूं या नेट पर से कॉपी-पेस्ट। Daily Essential Thoughts मेरा ब्लॉग है जो नीचे वाली विजेट को फीड प्रदान करता है।
यह कोटेशन पोस्ट करने का एक सरल तरीका कल मुझे मिला। ब्लॉगर-इन-ड्राफ्ट ने iGoogle के लिये एक ब्लॉगर पब्लिशिंग गैजेट बनाया है। इसे आप अपने iGoogle पेज पर चस्पॉ कर सकते हैं। चस्पॉ करते समय ध्यान रहे कि आपका ब्लॉगर अकाउण्ट भी उसी आईडी से गवर्न होता हो।
यह देखिये मैने Confidence Quotes और इस गैजेट को एक साथ लगाया है अपने iGoogle पेज पर और बाजू की थॉमस जैफर्सन का कोटेशन कॉपी पेस्ट से पोस्ट कर दिया है। (चित्र बड़ा करने के लिये कृपया चित्र पर क्लिक करें)
और यहीं पर मुझे पुष्टि भी मिल गयी कि पोस्ट पब्लिश हो गयी है!
आप नीचे Daily Essential Thoughts की विजेट में देख सकते हैं जैफर्सन का कोटेशन फीड में दिख रहा है।
ब्लॉगर-इन-ड्राफ्ट अगर इस गैजेट में और सुविधायें दे दे तो मजेदार टूल बन जायेगा यह ब्लॉगिंग के लिये!
आजकल जी विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु मेरे ब्लॉग पर बड़े अच्छे कमेण्ट दे रहे हैं। कल का उनका कमेण्ट तो बहुत सटीक और ऊर्जा देने वाला लगा। यह जरूर है कि उनसे वन-वे कम्यूनिकेशन हो पाता है – न उनका ब्लॉग है न जग जाहिर ई-मेल आई-डी। जैसा उन्होंने कहा है टिप्पणी में कि वे १९६७-७२ में इन्जीनियरिंग कर रहे थे। उस हिसाब से वे मेरे चार बैच सीनियर निकले! मैने बिट्स पिलानी में १९७१ में प्रवेश किया था।
बहुत धन्यवाद श्री जी विश्वनाथ। एक कन्नड़ तमिळ-मलयाळम (श्री विश्वनाथ ने टिप्पणी में स्पष्ट किया है कि वे कन्नडिगा नहीं हैं, उनकी मातृभाषा तमिळ-मलयाळम के मेलजोल से बनी बोली है) भाषी के हिन्दी में इतने सुन्दर कमेण्ट – मैं अभिभूत हूं।

जानकारी तो अच्छी है और साथ ही पंकज जी का सुझाव भी।
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तकनीक बताने वाली पोस्ट मै पढता अवश्य हूँ पर मुझे लगता है कि इन्हे और सरल भाषा मे लिखा जाना चाहिये और एक पोस्ट की जगह श्रंखला होनी चाहिये जिसमे पाठको के प्रश्नो का इत्मीनान से उत्तर भी दिया जाये।
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पान्डेजी,हार्दिक धन्यवाद!इस नाचीज़ का नाम और टिप्पणी को आपने मुखप्रष्ट पर छापकर बड़ी कृपा की है। आशा करता हूँ कि इससे हिन्दी चिट्टाजगत के सितारों से मेरा सम्पर्क बढ़ेगा और अपनी हिन्दी को सुधार सकूँगा।यह सुनकर खुशी हुई कि आपने BITS पिलानी में पढ़ाई की थी।मैं भी BITS पिलानी का ही छात्र हूँमेरी मतृभाषा कन्नड़ नहीं हैं।मेरे बारे में और ज्यादा जानने के लिए फ़ुरसत मिलने पर, और यदि रुचि हो तो यह कड़ी देखिए:http://groups.yahoo.com/group/Hindi-Forum/message/4680हिन्दी जालजगत में प्रवेश करते समय मैं इस हिन्दी चर्चा समूह में सदस्य बना और अपना परिचय देते हुए चर्चा समूह को लिखा था।Direct सम्पर्क के लिए मैं अपना email id और cell phone number आपको private email द्वारा भेजूँगा।मैं आप लोगों जैसा सफ़ल और अनुभवी ब्लोग्गर तो नही।Daily ritual and dedicated blogging जो आप बड़ी सफ़लता से कर रहे हैं, मुझसे नहीं होगा।न इतना समय मिलता है और न इतनी काबिलियत है मुझमें।पर nukkad.info, (जो एक Hindi Social networking site है) पर पंकज बेंगाणी ने मुझे जगह देकर कृपा की है और मुझे प्रोतसाहित भी करते आए हैं। इस site के blogs section पर मेरे कुछ लेख छपे हैं।अधिकांश लेख, अंग्रेज़ी में लिखी हुई हैं लेकिन कुछेक हिन्दी में भी मिल जाएंगे। इस क्षेत्र में कोई खास सफ़लता नहीं मिली। कुछ लोग इसे पढ़ते होंगे पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं मिली।आजकल फ़ुरसत मिलने पर औरों के ब्लोग पढ़कर समय काटता हूँ।और कभी कभी टिप्पणी भी कर लेता हूँ।मेरा खयाल है कि मेरे ब्लोग से, मेरी टिप्पणियों को लोग ज्यादा पढ़ते होंगे। कोई बात नहीं । यह स्थिति मुझे स्वीकार है। टिप्पणी लिखने में भी मुझे उतना ही मज़ा आता है। कोई खास सोच विचार की आवश्यकता नही होती, homework या शोध कार्य की आवश्यकता भी नहीं और कोई committment भी नहीं। Moral: If you can’t be a successful blogger, content yourself with riding piggy back on other bloggers.
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@ रविजी, पहले मैने हिन्दी में ही किया था। पर यह विजिटबाक्स हिन्दी में ठीक से विजिट दिखाता नहीं। मुझे यह मालुम था कि हिन्दी में यह कहीं ज्यादा हिट होगा। अन्ग्रेजी में जनता पढ़ेगी नहीं। आप मुझे तरीका बतायें – एक कोटेशन तो रोज ठेला जा सकता है हिन्दी में!
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जमाये रहियेजी। जरा एकाध पोस्ट इस पर हो कि कर्नल बैंसला कांड में जो रेलें रद्द हुई हैं, उसमें रेलवे का कित्ता नुकसान हुआ है। वह रेल ट्रेक खाली करा लिया गया है, फिर दोबारा यातायात बहाली में टेकनीकली कित्ता टाइम लगता है। वगैरह वगैरह।
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@दिनेशराय जी, अब तो हिन्दी में भी तकनीकी जानकारियाँ नेट पर उपलब्ध हैं. जरा फ़ीड तलाशकर देखिए तो सही.@ज्ञानदत्त जी – जब आप स्वयं टाइप करते हैं, तो यह नित्य का अतिआवश्यक विचार हिन्दी में क्यों नहीं? और यदि आप इसे एक गॅजेट के रूप में, जैसा कि बता रहे हैं, और हिन्दी में लिखें, तो मैं भी उसे अपने ब्लॉग पर लगा लूंगा.
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बढ़िया जानकारी रही.. धन्यवाद !
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जानकारी के शुक्रिया। पर हम अभी बहुत से तकनीकी शब्दों का वास्तविक प्रायोगिक अर्थ नहीं समझ पाते। जैसे “फीड”। लगता है एक तकनीकी शब्दकोष तलाश करना पड़ेगा अन्यथा इन्हें समझने में उम्र गुजर जानी है।
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अच्छी जानकारी दी आपने, बहुत आभार.
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I loved this post and this blog.Happy weekend
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