टॉल्सटॉय और हिन्दी ब्लॉगरी का वातावरण


मैं लियो टॉल्सटॉय (१८२८-१९१०) की मेरी मुक्ति की कहानी पढ़ रहा था। और उसमें यह अंश उन्होंने अपने समय के लेखन के विषय में लिखा था। जरा इस अंश का अवलोकन करें। यह हिन्दी ब्लॉगरी की जूतमपैजारीय दशा (जिसमें हर कोई दूसरे को दिशा और शिक्षा देने को तत्पर है) पर सटीक बैठता है –Continue reading “टॉल्सटॉय और हिन्दी ब्लॉगरी का वातावरण”

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