ओबामामानिया (Obamamania) शब्द मुझे रीडर्स डाइजेस्ट के नवम्बर अंक ने सुझाया था। इस अंक में लेख में है कि दुनियां भर के देशों में ओबामा को मेक्केन पर वरीयता हासिल है – लोगों की पसन्दगी में।
ओबामा का जो कथन बार बार आया है – वह आउट सोर्सिंग को ले कर है। उनका कहना है – “मैक्केन से उलट , मैं उन कंपनियों को कर में राहत देना बंद कर दूंगा जो ओवरसीज देशों में रोजगार की आउटसोर्सिन्ग करती हैं। मैं यह राहत उन कंपनियों को दूंगा जो अमेरिका में अच्छे रोजगार उत्पन्न करती हैं।”
मुझे नहीं मालुम कि इसका कितना असर भारत छाप देशों पर पड़ेगा। पर यह बढ़िया नहीं लगता। आगे देखें क्या होता है। दो-तीन महीनों में साफ हो जायेगा। वैसे अपना सेन्सेक्स तो आजकल हवा चलते लटकता है। कल भी लटका है। खुलने के बाद सलंग (मालवी शब्द – सतत, एक सीध में) लटका है। पता नहीं ओबामा सेण्टीमेण्ट के चलते है या नहीं? इसको तो जानकार लोग ही बता सकते हैं।
अब पता चलने लगेगा कि दुनियां का ओबामामानिया सही है या नहीं।
और पुछल्ले की तलाश न करें। यह पोस्ट ही पुछल्ला है

सही कहा आपने समय ही वह कसौटी है, जो ओबामामानिया की परख कर पाएगी।
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एक ब्लॉग पर ही पढ़ा था की ओबामा भारत में होते तो पोस्टर इस तरह बनते: Barack O., BA, MA.(अनुरागजी से प्रेरित)और आउटसोर्सिंग तो मजबूरी है. वैसे ही हालत ख़राब है अमेरिका कभी नहीं चाहेगा की बाकी देशों की तुलना में उसे पीछे होना पड़े. फ्री ट्रेड पर भी कुछ ऐसे ही विचार हैं ओबामा के. देखते हैं…
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ओ बाबा…ओ माँ…ओ बाबा माँ…ओबामाटिप्पणी श्री मिश्रा से साभार
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हमारा तो काम ही अमरीकियो के भरोसे चलता है.. आऊट्सोर्सिंग फिलहाल तो बंद होती दिखती नही है.. फिर देखते है.. आयेज क्या होता है.. पर हमारे देशवासीयो को आऊट्सोर्सिंग बंद होने से डरने के बजे इस देश में ही अवसर तलाश करने चाहिए…
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भारतीयों में ओबामा के रंग को लेकर समर्थन था, नीतियाँ तो हम अपने चुनावों में भी नजर अंदाज कर देते है.
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सोच समझ कर ही अमेरिकियों ने इन्हे दुनिया की सबसे ताकतवर गद्दी पर बैठाया है.
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ओ बाबा…ओ माँ…ओ बाबा माँ…ओबामा
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सर पुछल्ला तो आप ई-स्वामी के कमेंट को लगा सकते हैं..और समीर जी, आप तो ओबामा से भी ज्यादे काले दिखते हैं.. फिर काहे का कबीला? अजी आप तो अलग ही कबीले के नजर आते हैं.. :) :P
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अजी अब अमरीका पर पैसे कहां है, कुछ खऱीदने के। बाकी इंडिया को किसी देश पर इतना निर्भर नहीं रहना चाहिए, अमेरिका पर इतनी निर्भरता ठीक नहीं है। अमेरिका की टोकरी में भारत के अंडे बहुत ज्यादा हो गये हैं। ये अंडे कुछ कम होने चाहिए। ओबामा भारत के हित में नहीं, सिर्फ अपने हित में काम करेंगे, अगर इन हितों में भारतीय हित सध जायें, तो उन्हे समस्या नहीं होनी चाहिए। पर अभी इंतजार करना होगा।
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आउटसोर्सिंग रोकने के लिए ओबामा यदि उन पर लोगों पर टैक्स लगाते हैं जो अमरीका से बाहर काम भेजते हैं तो इस में कुछ नहीं? भारत को भी इस से सीखना चाहिए। अपने यहाँ रोजगार बढ़ाने वाले कदम उठाने चाहिए।
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