मिडलाइफ क्राइसिस और ब्लॉगिंग


मुझे पीटर ड्रकर का “मैनेजिंग वनसेल्फ” (Managing Oneself) नामक महत्वपूर्ण लेख बारम्बार याद आता है। आप इस हाइपर लिंक के माध्यम से यह लेख डाउनलोड कर सकते हैं। पर डाउनलोड करने से ज्यादा महत्वपूर्ण उस लेख को पढ़ना है।

मैं यहां यही कहना चाहता हूं कि अगर आपको सेकेण्ड कैरियर के लिये सप्ताह में १०-१२ घण्टे का सार्थक काम तलाशना हो, और उसमें पैसा कमाने की बाध्यता न हो, तो ब्लॉगिंग एक अच्छा ऑप्शन बन कर सामने आता है।

इस लेख के उत्तरार्ध में पीटर ड्रकर जिन्दगी के दूसरे भाग की बात करते हैं। लाइफ स्पान बढ़ते जाने और श्रमिक की बजाय नॉलेज वर्कर के रूप में अधिकांश लोगों द्वारा जीवन व्यतीत करने के कारण दूसरा कैरियर बहुत महत्वपूर्ण होता जा रहा है। मैं उनके लेख का एक अंश अनुदित कर रहा हूं –

“मिड-लाइफ क्राइसिस” से अधिकाधिक एग्जीक्यूटिव्स दो चार हो रहे हैं। यह अधिकतर बोरडम (boredom – नीरसता) ही है। पैंतालीस की उम्र में अधिकांश एग्जीक्यूटिव्स अपनी बिजनेस कैरियर के पीक पर महसूस करते हैं। बीस साल तक लगभग एक ही प्रकार का काम करते करते वे अपने काम में दक्ष हो गये होते हैं। पर वे उत्तरोत्तर अपने काम से न संतोष और चुनौती पाते हैं और न बहुत महत्वपूर्ण कर पाने का अहसास। और फिर भी उनके आगे २० से २५ साल और होते हैं, जिनमें उन्हें कार्यरत रहना है। यही कारण है कि आत्म-प्रबन्धन आगे और भी दूसरी कैरियर के बारे में सोचने को बाध्य करने लगा है।

peterdrucker आप दूसरी कैरियर के बारे में ड्रकर के विचार जानने के लिये उनका लेख पढ़ें। मैं यहां यही कहना चाहता हूं कि अगर आपको सेकेण्ड कैरियर के लिये सप्ताह में १०-१२ घण्टे का सार्थक काम तलाशना हो, और उसमें पैसा कमाने की बाध्यता न हो, तो ब्लॉगिंग एक अच्छा ऑप्शन बन कर सामने आता है। पीटर ड्रकर ने जब यह लेख लिखा था, तब ब्लॉगिंग का प्रचलन नहीं था। वर्ना वे इसकी चर्चा भी करते।

उत्तरोत्तर मैं साठ-पैंसठ से अधिक की उम्र वालों को हिन्दी ब्लॉगरी में हाथ अजमाइश करते देख रहा हूं। उस दिन बृजमोहन श्रीवास्तव जी हाइपर लिंक लगाने की जद्दोजहद से दो-चार थे। वे बहुत अच्छा लिखते हैं। एक अन्य ब्लॉग से मैने पाया कि ७१ वर्षीय श्री सुदामा सिंह हिन्दी ब्लॉगरी को ट्राई कर रहे हैं। कई अन्य लोग भी हैं।

ड्रकर के अनुसार जीवन के दूसरे भाग के प्रबन्धन के लिये जरूरी है कि आप दूसरे भाग में प्रवेश से बहुत पहले वह प्रबन्धन करने लगें। पर हमने तो मिडलाइफ क्राइसिस की झेलियत के बाद ब्लॉगरी को काम की चीज पाया। ट्रेन हांकने में पाये तमगे जब महत्वहीन होने लगे तो लेटरल कार्य ब्लॉगिंग में हाथ आजमाइश की। सारी शंका-आशंकाओं के बावजूद अभी भी इसे मिडलाइफ क्राइसिस का सार्थक एण्टीडोट मानने का यत्न जारी है।

आप भी सोच कर देखें।      


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

32 thoughts on “मिडलाइफ क्राइसिस और ब्लॉगिंग

  1. जन्म दिवस की बधाई स्वीकारें, देरी के लिए क्षमा. और हम ये जान कर प्रसन्न हैं कि आप भी नवम्बर वाले हैं.

    Like

  2. गुरुदेव,देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ। कल दिन भर कम्प्यूटर नहीं खुला। आज सुबह पता चला कि आप भी १४ नवम्बर वाले हैं। नेहरू जी के कारण यह बाल दिवस तो स्पेशल था ही, अब हमारे लिए और स्पेशल हो गया है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।

    Like

  3. ज्ञानदत्तजी,मिडलाईफ़ क्राईसिस बहुत से रूपों में सामने आती है । अपनी इस छोटी सी उम्र में ही कई रूपों में इसे देख चुके हैं । अपने दोस्त लोग जो नौकरी कर रहे हैं उनका हाल भी बेहतर नहीं है, अपने को संतोष है कुछ नया सीख/कर रहे हैं । मिडलाईफ़ क्राइसिस का एक ही उपाय है कि जीवन में विविधता लाई जाये । लेकिन धीरे धीरे हम जड होते चले जाते हैं जिससे चलते विविधता लाने के लिये बडा रेजिस्टेंस सा महसूस होता है ।अभिषेक ओझा जी की बात में दम है । आपको जन्मदिन की देर से ही सही ढेर सारी हार्दिक बधाईयाँ । वैसे इसको लिखते समय हमारे यहाँ १४ नवंबर की शाम का ४:२७ बज रहा है इसलिये टेक्नीकल ग्राउंड पर हम बच गये :-)

    Like

  4. सब से पहले तो आप कॊ जन्म दिन की बधाई, अरे मै तो कब से सोच रहा हू कब पेंशन पर जाऊ ओर फ़िर इस दुनिया का एक लम्बा चक्कर लगाऊ, फ़िर अगर बच्चो ने साथ रखा तो हम दोनो अपने पोते पोतीयो के संग बाकी जिन्दगी बिताये,नही तो भारत मै आ कर अपनी धुनी जमायेगे.धन्यवाद

    Like

  5. ज्ञानजी,जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।जो विचारशील हैं और सार्थक विचारों से समाज को प्रेरित कर सकते हैं उन्हें विश्व को सुन्दर बनानें के लिए यह अवश्य करना चाहिये।

    Like

  6. Sir,जन्म दिन की बधाई !main to yahi samjhti hun ki aap ne jo likha sahi hai..sab ki apni apni pasand hai…kisi bhi umar mein shuru karen blogging——blogging ek achcha tariqa hai khud ko busy rakhane ka–aur apne interests ke logon se milna bhi ho jaata hai–kayee blogs ke thru jaankariyan bhi milti hain-

    Like

  7. वि‍चारोत्‍तेजक पोस्‍ट। आपको जन्‍मदि‍न की बधाई।और सतीश जी के शब्‍दों में कहूँ तो आज दो चाचाओं का जन्‍मदि‍न हुआ :)

    Like

  8. भाई जी !जन्मदिन की शुभकामनायें ! आपसे बहुत कुछ सीखता हूँ , आपके जन्मदिन पर आपका आभार भी व्यक्त कर रहा हूँ !

    Like

Leave a reply to समयचक्र - महेद्र मिश्रा Cancel reply

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started