अगर आपने वारेन बफेट, पीटर लिंच और रॉबर्ट कियोसाकी को कवर से कवर तक पढ़ा है और रिवीजन भी किया है, तो भी मैं इस पुस्तक को लेने और पढ़ने की सलाह दूंगा।
यह है योगेश छाबरीया जी की पुस्तक – हैप्योनैर की तरह निवेश कैसे करें।
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हेप्योनैर की तरह निवेश कैसे करें |
असल में हम बहुत सी थ्योरी पढ़ते हैं। जब मार्केट बढ़िया चलता है, तब उस पर चर्चा भी बहुत करते हैं। उस समय निवेश भी करते हैं। पर जब सेन्सेक्स टैंक कर जाता है तो यह भूल जाते हैं कि निवेश का यही समय है। इस समय कुछ बहुत अच्छी कम्पनियों के शेयर उनकी भौतिक परिसम्पदा के मूल्य से भी कम पर उपलब्ध हैं। पर हम हैं कि छाछ को भी फूंक फूंक कर पी रहे हैं। क्यों कि अभी हमने अपने पोर्टफोलियो का मूल्य आधे से कम होते देखा है!
मैं भी इसी छाछ को फूंकने के मूड में था। पर बड़े मौके पर यह पुस्तक मेरे हाथ लगी। अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद मैने यह पुस्तक पढ़ ली – काफी समय बाद पढ़ी गयी पुस्तक। बड़े काम की पुस्तक। विश्वास वापस लौटा लाने का काम करने वाली पुस्तक।
सबसे बढ़िया बात यह है कि यह पुस्तक हिन्दी में है, सरल है, “निवेश को न जानने वाले” को सामने रख कर लिखी गयी है और आपकी तर्क जिज्ञासा को काफी हद तक शान्त करती है।
आम लोगों में कई मिथक हैं। शेयर मार्केट को लोग या तो जुआ मानते हैं या सतत टीवी के सामने बैठ कर शेयर कीमतों को बढ़ते घटते देखने को निवेश प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। इस पुस्तक में योगेश छाबरीया जी के लिखे की मानें तो इन मिथकों से परे, हैप्योनैर (Happionaire – आनन्द से संतृप्त) तरीके से शेयर में सार्थक निवेश हो सकता है।
और बहुत संभावनायें हैं – ४ प्रतिशत से कम बचत इक्विटी में सीधे लग रही है इस समय।
(इसी पुस्तक से) |
इस पुस्तक में योगेश जी ने शेयर बाजार के मूलभूत सिद्धान्त, कार्यप्रणाली और निवेश करने की सामान्य तैयारी बात की है। सौ से कुछ अधिक पेजों की पुस्तक में नब्बे से कुछ अधिक पेजों में उन्होने यह बात बड़े रोचक तरीके से की है। उसमें कथायें हैं, लेखक के अपने अनुभव हैं और बीच बीच में स्प्रिंकल्ड सलाह है। शेष पेजों में शेयर बाजार की जरूरी शब्दावली का परिचय है। कुल मिला कर पाठक धन संवर्धन की इस विधा का सही परिचय पा जाता है। पाठक को धोखाधड़ी, अनावश्यक प्रायोजित सलाह आदि के सम्भावित खतरों से भी आगाह किया है इस पुस्तक में।
अभी, जब शेयर बाजार अपनी अत्यन्त निचले स्तर पर है, और कई शेयर अपने भौतिक परिसम्पत्तियों के मूल्यांकन से भी कम मूल्य पर मिल रहे हैं, तब यह पुस्तक सही समय पर निवेश करने को उत्प्रेरक का काम कर सकती है। निवेश का ऐसा मौका कम ही मिलता है।
यह पुस्तक मैने पूरी पढ़ी है – दत्त चित्त हो कर। और मैं आपको भी यह हासिल करने तथा पढ़ने की सलाह दूंगा।
आपको नये साल में हैप्योनैर निवेशक बनने के लिये शुभकामनायें।
योगेश जी ने अपनी पुस्तक मुझे पढ़ने और अच्छी लगने पर उसके विषय में कुछ लिखने को भेजी थी। और मुजे प्रसन्नता है कि मैने यह पुस्तक पढ़ी।
ब्लॉगर होने का यह लाभ हुआ है कि लोग पुस्तकें दे रहे हैं – जो मुझे सर्वोत्तम उपहार लगता है। मैने दो सप्ताह पहले भर्तृहरि के दो पद प्रस्तुत किये थे – श्री रविशंकर जी द्वारा अनुदित। श्री रविशंकर जी ने मुझे फोन पर बताया कि वे भर्तृहरि के श्रृंगार और वैराज्ञ शतक पर अपनी भारतीय विद्या भवन से प्रकाशित पुस्तक भी भेज रहे हैं।
मैं तो अपने को सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

आपको फ्री में मिल गई है हमें खरीदना पड़ेगा जब तक खरीदने का साहस जुटा पायें तब तक अ-निवेशक ही बने रहते हैं
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यह हुई ना ज्ञान की बात!
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पांडे जी नमस्कार,अभी तक मैं भी शेयर मार्केट के प्रति असमंजस में ही था. क्योंकि किसी ने एक बार बताया था कि शेयर मार्केट में अपनी अक्ल से ही निवेश करना चाहिए. अब जब अगले में अभी तक अक्ल ही नहीं है तो वो निवेश कैसे करेगा. अब देखता हूँ ये पुस्तक कुछ हेल्प कर दे. धन्यवाद.
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बहुत अच्छी जानकारी..आप को पुस्तकें भेंट में मिल रही हैं. जान कर बहुत प्रसन्नता हुई.बधाई.
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मुझे शेयर मार्केट का ज्यादा आईडिया नहीं है और अभी पूंजी भी नहीं कि इनवेस्ट किया जा सके.. 1-2 साल पहले मेरे भैया को इसका शौक चढ़ा था और इस शेयर मार्केट में गोते लगाने से पहले उन्होंने पहले कई चीजें पढ़ी, कई तरह का शेयर ज्ञान लिया फिर कूदे.. बहुत सोच समझ कर एक एक पैसा लगाये.. जिसका फायदा यह मिला कि इस मंदी के दौर में भी उन्हें कोई घाटा नहीं हो रहा है.. और उनका भी यही कहना है कि यही सही समय है इनवेस्ट करने का..
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” पुस्तक की जानकारी के लिए आभार “Regards
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धन्यवाद जी ! योगेश जी की पुस्तक भी आज बुलवा कर पढते हैं ! आभार !
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मेरी इस विषय में कभी कोई रूचि नही रही -मैं इनके बिना भी आनंदित रहता हूँ -और शायद इनके बिना ही आनंदित हो पाया हूँ !
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18वें जन्मदिन पर जब मैंने अपने पुत्र को कियोसाकी की पुस्तक भेंट की थी तो मुझे अंदेशा नहीं था कि उसके सोचने का ढ़ग ही बदल जायेगा। वारेन बफेट, पीटर लिंच के अलावा भी कई पुस्तकें शेल्फ पर रहती थीं। समय के साथ कुछ पुस्तकें जिज्ञासु लेकर गये और लौटाईं ही नहीं, कुछ पुस्तकें यात्रा पर साथ लेकर गये तो किसी मित्र को दे आये। ऐसा करते करते जब खजाने से नगीने गायब होने लगे तो हमने बचे-खुचों को अपनी कस्टडी में ले लिया है।शेयर बाज़ार की अभी जो हालत है, उस पर मुझे, 1986 में लिखी गयी, अर्थशास्त्री रवि बत्रा की ‘द ग्रेट डिप्रेशन’ बेहद पसंद है। जिसमें उन्होंने इस महामंदी की भविष्यवाणी, तारीखों सहित कर दी थी।इस पुस्तक की जानकारी देने के लिए आपका धन्यवाद। आपकी सलाह पर अमल करते हुए योगेश छाबरिया की पुस्तक का आनंद, अवश्य लिया जायेगा।
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विविध विषयोँ पर पुसतकेँ हमारी जानकारी मेँ इजाफा ही करतीँ हैँ – आज मैँने मेरे जाल घर पर डा. मृदुल कीर्तिजी की पुस्तकोँ का जिक्र भी इसी कारण से किया हैSo I hope Folks will become Happy + Millionaires in this coming Year 2009 !! Cheers !!
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