शिवजी की कचहरी


सूअरों, भैंसों और बजबजाती नालियों के बीच रहकर भी कुछ तो है, जिसपर मैं गर्व कर सकता हूं।

सिद्धेश्वरनाथ जी के मन्दिर में वे अगरबत्ती जला रहे थे। मुझे लगा कि यही सज्जन बता सकते हैं शिवजी की कचहरी के बारे में। मेरे अन्दर का अफसर जागृत होता तो मैं सटक लिया होता। अफसर इस तरह की जानकारी के लिये वक्त खोटा नहीं करता – भले ही उसका छुट्टी के दिन का पर्सनल समय हो। मैं, लिहाजा मैं था – ज्ञानदत्त पांड़े। सो इन्तजार करता रहा। इन्तजार करना बेकार नहीं गया। उसमें से पोस्ट निकल आई।

Dinanath Pandeyवे सज्जन निकले श्री दीनानाथ पाण्डेय। देश के इस हिस्से में एक ढ़ेला उठाओ तो एक आध पांड़े/सुकुल/मिसिर/तेवारी निकल ही आयेगा। दीनानाथ जी को ट्रिगर करने की देर थी; बताने लगे। राम लंकाविजय कर लौट रहे थे। प्रयाग में भारद्वाज आश्रम में उन्हें बताया गया कि रावण वध से उन्हे ब्राह्मण हत्या का प्रायश्चित तो करना होगा। लिहाजा राम ने कोटेश्वर महादेव पर शिव की पूजा की और शिवकुटी में एक हजार शिवलिंग की स्थापना की। उसी को शिवजी की कचहरी कहा जाता है।1shiva kuchehari 

और बाद में शिवकुटी के राजा ने शिवजी की कचहरी का जीर्णोद्धार कराया। अब यहां २८८ शिवलिंग हैं। इतने सारे शिवलिंग एक स्थान पर, एक छत के नीचे देखना भी अलग अनुभव है। देख कर मेरे मुंह से स्वत: महामृत्युंजय जाप निकलने लगा – “ॐ त्रियम्बकम यजामहे …”। दीनानाथ जी ने बताया कि शिवपुराण में भगवान राम सम्बन्धित इस घटना का वर्णन है।

दीनानाथ जी को कोटेश्वर महादेव जी की आरती में जाने के जल्दी थी। लिहाजा मैने उनका फोटो ले उनको धन्यवाद दिया। मेरे परिवेश की महत्वपूर्ण जानकारी उन्होंने दी। सूअरों, भैंसों और बजबजाती नालियों के बीच रहकर भी कुछ तो है, जिसपर मैं गर्व कर सकता हूं। एक अफसर की मानसिकता को भले ही यह सब वाहियात लगे।

(शिवजी की कचहरी मेरे घर के पास एक गली में ऐतिहासिक/पौराणिक स्थल है। पहले आसपास बहुत गन्दगी थी। अब ठीकठाक जगह है। आप यहां आ ही जायें तो देखी जा सकती है यह जगह।)   


1. भगवान राम अपनी इमेज में ट्रैप्ड नहीं थे? शिवलिंगों की स्थापना वैसे ही श्रद्धावश कर देते पर रावण वध के प्रायश्चित स्वरूप? और कालांतर में धोबी के कहने पर माता सीता को वनवास?


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

24 thoughts on “शिवजी की कचहरी

  1. अबकी बार जब भी इलाहाबाद जायेंगे तो इसे जरुर देखेंगे ।

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  2. हर हर महादेव जय हो शिवजी की कचहरी की , इलाहबाद आने पर दर्शन करूँगा .जानकारी के लिए धन्यवाद

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  3. अब जगह ठीक ठाक है जान कर सुकून मिला । सुअरों भैंसों बजबजाती नालियों के बीच गर्व करने लायक चीडों को कब तक ढूंढें । पर अच्छी जानकारी है कि शिवजी भी कचहरी लगाते है और अपने जैसे ही सारे अफसर बैठा रखें हैं .।

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  4. @ अशोक पाण्डेय – भैंसों/गोरू पालने में पर्याप्त स्थान, जल, स्वच्छता और अनुशासन चाहिये। अगर शहरी बस्ती में पालना हो तो बांध कर रखना अनिवार्य है। दूध निकाल छुट्टा छोड़ना अप्रिय है, और मैं उसी की बात कर रहा हूं।

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  5. ये पता किया कि नही कि इस कचहरी में कितने मुकदमें लटके पढ़े हैं

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  6. बढ़िया जानकारी. रोज़मर्रापन अपने में कितनी महत्वपूर्ण और अनूठी बातें छुपाये होता है इसे इसी लेखन से और बल मिला. बनारस और प्रयाग भले दुनिया के प्राचीन शहर माने जाते हो( भले ही ये मानने वाले सिर्फ हम हिन्दुस्तानी ही हों!) पर वहाँ इतिहास के मूर्त नमूने अपने भव्य और विशाल रूप में कम ही है.या कहे बचे रह गए है.हम नए दिखने वाले मंदिर को भी पौराणिक काल का घोषित कर देते है.शायद इन शहरों का पुरानापन इन्ही छोटी और उपेक्षित जगहों में बचा है. आभार.

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  7. रावण वध से “ब्राह्मण हत्या” का प्रायश्चित?लेकिन जब ब्राह्मण एक राक्षास से भी बदत्र हो जाये तो?? चलिये अब हमारे धर्म ग्रंथो मे लिखा है तो मनान लेते है.धन्यवाद इस जानकारी के लिये

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  8. हमारे इर्द-गिर्द कई ऐसी चीजें होती हैं जिनपर हम गर्व कर सकते हैं। लेकिन हम बहुधा उन्‍हें नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि सुअर और बजबजाती नालियों की श्रेणी में भैंस का उल्‍लेख मुझे रुचिकर नहीं लगा।

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