उद्यमैनेव सिध्यन्ति कार्याणि, न मनोरथै। नहि सुप्तस्य सिंहस्य: प्रविशन्ति मुखे मृगा:॥ और बहुधा हम उद्यम को श्रम समझ लेते हैं। श्रम पर अधिपत्य लाल झण्डा जताता है। लाल झण्डा माने अकार्यकुशलता पर प्रीमियम। उससे कार्य सिद्ध नहीं होते। मैने सवाई माधोपुर में एक बन्द सीमेण्ट कम्पनी के रिवाइवल का यत्न देखा है। बात शुरू हुईContinue reading “उद्यम और श्रम”
