बरसात का मौसम बस अब दस्तक देने ही वाला है। नाना प्रकार के साँपो के दस्तक देने का समय भी पास आ रहा है। शहरी कालोनियाँ जो खेतो को पाटकर बनी हैं या जंगल से सटे गाँवो में साँप घरो के अन्दर अक्सर आ जाते है। वैसे तो बिलों मे पानी भरने और उमस से बैचेन साँपो का आगमन कहीं भी हो सकता है। मुझे मालूम है कि आम लोगो को इसके बारे मे कितनी भी जानकारी दे दो, कि सभी साँप हानिकारक नही होते, पर फिर भी वे घर मे साँप देखते ही बन्दरो की तरह उछल-कूद करने लगते है। आनन-फानन मे डंडे उठा लेते हैं या बाहर जा रहे व्यक्ति को बुलवाकर साँपो को मार कर ही चैन लेते हैं।
यह अतिथि पोस्ट श्री पंकज अवधिया की है। पंकज अवधिया जी के कुछ सांप विषयक लेखों के लिंक:
पन्द्रह मे से वे दो नाग जिनके सानिध्य मे हम बैठे थे।
नागिन बेल जिसे घर मे रखने के लिये कहा जाता है।
नागिन बेल के तनो को भी साँप भगाने वाला कहा जाता है।
ये असली नही बल्कि जडो को छिल कर बनाये गये साँप है। इन्हे घर मे रखने के लिये कहा जाता है।
नाग दंश से अपनी अंगुली खो चुके उडीसा के पारम्परिक चिकित्सक
आम लोगो के इस भय का लाभ जडी-बूटी के व्यापारी उठाते हैं। साँप की तरह दिखने वाली बहुत सी वनस्पतियों को यह बताकर बेचा जाता है कि इन्हे घर मे रखने से साँप नही आता है। आम लोग उनकी बातो मे आ जाते हैं। मीडिया भी इस भयादोहन मे साथ होता है। जंगलो से बहुत सी दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ इसी माँग के कारण खत्म होती जा रही हैं। साँप घर मे रखी इन जड़ी-बूटियों के बावजूद मजे से आते हैं। यहाँ तक कि इन्हे साँप के सामने रख दो तो भी वे इनके ऊपर से निकल जाते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि जडी-बूटियाँ व्यर्थ जाती हैं। केवल भयादोहन करके व्यापारी लाभ कमाते हैं।
बरसात के शुरु होते ही कुछ सुरक्षात्मक उपाय अपनाकर आप साँपो के अवाँछित प्रवेश पर अंकुश लगा सकते हैं। उन सम्भावित प्रवेश द्वारों पर जहाँ से साँप के अन्दर आने की सम्भावना है, दिन मे एक बार फिनाइल का पोछा लगा दें। साँप वहाँ फटकेंगे भी नहीं। कैरोसीन का भी प्रयोग लाभकारी है। यदि आपके घर के सामने लान है तो बरसात के दौरान इसे बेतरतीब ढंग से उगने न दें।
यदि साँप विशेषकर नाग जैसे जहरीले साँप आ भी जायें तो अनावश्यक उछल-कूद न मचायें। उन्हे उत्तेजित न करें। आप उनके सामने खूब जोर से बात भले करें पर हिले-डुले नहीं। वह आपको काटने नही आया है। यदि वह फन काढ़ ले तो आप स्थिर रहें। थोडी देर मे वह दुबक कर कोने या आड मे चला जायेगा। फिर उसे बाहर का रास्ता दिखा दें। कमरे मे जिस ओर आप उसे नही जाने देना चाहते हैं उस ओर फिनायल डाल दें। यदि पानी सिर के ऊपर से गुजर जाये तो आस-पास पडे कपड़े नाग के ऊपर डाल दें। ताकि गुस्से मे दो से तीन बार वह कपडो को डंस ले। ऐसा करने से आप सम्भावित खतरे से बच जायेंगे। आमतौर पर कपडे डालने से वह शांत भी हो जायेगा। कोशिश करें कि आप इस बार एक भी साँप न मारें। साँप को दूर छोडने पर वह फिर वहीं नही आयेगा।
कुछ वर्ष पहले तक दुनियां मे शायद ही कोई व्यक्ति रहा हो जो साँप से मेरी तरह घबराता रहा हो। पिछले साल कुछ घंटो पहले पकड़े गये पन्द्रह से अधिक नागों के बीच एक कमरे मे हम पाँच लोग बैठे रहे। किसी का भी जहर नही निकाला गया था। निकटतम अस्पताल चार घंटे की दूरी पर था। एक पारम्परिक सर्प विशेषज्ञ से हम सर्प प्रबन्धन के गुर सीख रहे थे। हमे हिलने-डुलने से मना किया गया था। हम बोल सकते थे पर हिल नही सकते थे। जरा-सा भी हिलने से साँप हमारी ओर का रुख कर लेते थे। उन्हे खतरा लगता था। जब वे शांत हो गये तो हमारे स्थिर शरीर के ऊपर से होकर कोने मे चले गये। नंगे बदन पर साँपो का चलना सचमुच रोमांचक अनुभव रहा। पर इससे साँपो को समझने का अवसर मिला। फिल्मो में साँपो की जो खलनायकीय छवि बना दी गयी है, वह साँपो की अकाल मौत के लिये काफी हद तक जिम्मेदार है।
© इस लेख पर सर्वाधिकार श्री पंकज अवधिया का है।

@ इन्दिरा जीआपकी समस्या का समाधान होम्योपैथी मे है। ऐसी बहुत सी दवाए है जिसमे इस तरह के सपने दिखना रेड लाइन सिम्प्टम है। जडी-बूटियाँ भी इसमे कारगर है।
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हम तो सांप की क्ल्पना मात्र से ही डर जाते हैं। जानकारी लेकिन उपयोगी है।
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बहुत ही उपयोगी जानकारी. ख़ास कर फेनोल का प्रयोग
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आप और लवली कुमारी के संस्मरण रोचक हैं ! मारना है तो आस्तीन के साँपों को मारिये !
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’कर वमन गरल जीवन भर का संचित प्रतिशोध उतारूँगा, तू मुझे ….’ । आपकी पोस्ट पढ़कर दिनकर जी शायद ये पंक्तियाँ नहीं लिख पाते
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बहुत पहले एक साँप मेरे पैर से गुजरा था, पहले गुदगुदी हुई फिर डर लगा :-)अच्छी जानकारी|सादर,वैभव
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thanks for enriching my knowledge. do you have some scientific solution or remedy for snake related dreams. I usually see snakes in my dreams and wake up with a fear as if they are around my bed.
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बहुत बढ़िया जानकारी.पहले सांपों को मारता था मैं. तब की बात है जब गाँव में रहता था. एक दिन माँ ने बहुत गुस्सा किया. इतना नाराज़ हुई कि खाना नहीं खाया. उसी दिन से सांपों को मारना छोड़ दिया. अब शहर में रहते हैं तो मुलाक़ात ही नहीं होती. अब तो चिडियाखाना जाकर देखना पड़ता है. वैसे होते हैं बड़े प्यारे.
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एक दो सांप हमने भी मारे। पर फिर उन से दोस्ती हो गई। हम उन्हें मारते नहीं बस ता़ड़ देते थे।
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बहुत उपयोगी जानकारी.. केरोसिन और फिनाईल कि बात तो पहली बार सुनी है.. धन्यवाद…क्या साप सिढ़ी चढ़ सकते है?
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