सवेरे सवेरे पोस्ट पर पहली टिप्पणी का इन्तजार है। कहां चले गये ये समीरलाल “समीर”? कल बता दिया था कि फलानी पोस्ट है, पर फिर भी टिपेरने में कोताही! टापमटाप चिठेरे हो लिये हैं, तब्बै नखरे बढ़ गये हैं!
तब तक शलभ से तितली बनने की प्रक्रिया रत एक नवोदित ब्लॉगर की टिप्पणी आती है। ज्यादा ही कॉन्स्टीपेटेड। “अच्छा लिखा, बहुत अच्छी जानकारी।” अच्छा तो खैर हम लिखते ही हैं। पर अच्छी जानकारी? बकरी भेंड़ी नेनुआ ऊंट में कौन जानकारी जी?! जानकारिऐ हमारे पास होती तो अनुनाद सिंह जी के बारंबार उकसाने पर हिन्दी विकीपेडिया पर न ठेलते?
टिप्पणी काउण्टिंग फोबिया ने बहुत टिल्ल-टिल्ल टिप्पणियां छितरा दी हैं हिन्दी ब्लॉग पोस्टों पर। और कॉंस्टीपेटेड टिप्पणियों को लोग टिप्पणी-इनवेस्टमेण्ट मान कर चल रहे हैं। पर जिस प्रतिटिप्पणी की आशा में यह दुअन्निया इनवेस्टमेण्ट किया जाता है, वह सत्तनारायण की कथा की तरह शायद एक बार फल देता है, पुख्ता निवेश की तरह लम्बे समय तक नहीं चलता!
टिप्पणी + इनवेस्टमेण्ट = टिप्पनिवेस्टमेण्ट
एक कोण से देखा जाये तो अपने महिमामण्डित शिखर से ब्लॉग पोस्ट लिखना सबसे सरल काम है। उससे कठिन है पढ़े को लिंकित कर पोस्ट लिखना। और सबसे कठिन है किसी पोस्ट पर वैल्यू बढ़ाती टिप्पणी देना। टिप्पनिवेस्टमेण्ट के लिये अच्छी समझ चाहिये बेंजामिन ग्राहम के “इण्टेलिजेण्ट इनवेस्टर” की।
बतौर चिठेरे, आप रात में सोने जायें तो रिव्यू कर लें कि कितना सार्थक टिप्पनिवेस्टमेण्ट किया! काम का रहेगा ये रिव्यू!
लिंकविदिन (Linkwithin) बहुत रोचक फेसिलिटेटर है ब्लॉगस्पॉट में पोस्ट करने वाले के लिये। और उनकी टीम आपकी ई-मेल पर ध्यान भी देती है। इस साइट वाले भविष्य में जब पइसे कमाने के फेर में पड़ेंगे, तब क्या करेंगे, पता नहीं। फिलहाल तो बड़े प्यारे लग रहे हैं। वे मेरे ब्लॉग पर पिछली तीन पोस्ट का लिंक दे रहे थे। ई-मेल करने पर चार का करने में देरी नहीं की और दन्न से जवाब दिया किन्ही लिलिया जी ने। तभी मैने लिंकविदिन को अलग रंग के बैकग्राउण्ड में नीचे लगा दिया है!
अपने यहां वाले ऐसी मस्त चीज क्यों नहीं बनाते जी!
इस पोस्ट की एक टिप्पणी का जवाब:
=============
@ अल्पना वर्मा जी –
लिंकविदिन को आपके टेम्प्लेट में यह कूट लगा कर प्रदर्शित होने का स्थान तय कराया जा सकता है –
<div class=’linkwithin_div’/>
इसकी जगह हमने यह चेप दिया –
<div class=’post-body’><div style=’border-bottom: #484848 2px solid; border-left: #484848 2px solid; border-right: #484848 2px solid; border-top: #484848 2px solid; padding-left: 35px; background: #f3e6ff; width: 90%; float: center’><div class=’linkwithin_div’/></div>
अब यह मत पूछिये कैसे किया। प्योर तुक्का लगाया! :)

'टिप्पनिवेस्टमेण्ट' बडा बढिया शब्द बनाया .. पर अपने नियमित टिप्पणीकारों की पोस्टों पर मैं जल्दी टिप्पणियां नहीं करती .. उल्टा नए ब्लोगरों का उत्साह बढाने के लिए उनपर करती हूं !!
LikeLike
लगता है कि टिप्पनिवेस्टमेण्ट केवल रिस्क कवर करता है। :)
LikeLike
का पांडे जी….. ई इंन्वेस्ट्मेंट का कौनो रीटर्न भी है कि नहीं….ई बतईबे नहीं किये….आ ई कौन बात हुआ खाली पहला नम्बर वाला को ई मेल करते हैं…देखिए त हम लोग तो बिना मेल के चले आते हैं..रिक्शा पकड के…आ ई समीर जी को काहे के लिये करते हैं…ई तो महाराज एलियन हैं…पहेली में भी पूछते ही सबसे पहला जवाब दे देते हैं…..आउर मुसीबत ई कि एकदम ठीक ठीक ..बांकि सब हमरे तरह खाली आपन नाम लिख कर चला आता है…ई नयका शब्द..अजित जी के यहां पेटेंट करा लिजीये….न त हमहुं दन्न से लिख देंगे इस पर…..बाद में मत कहियेगा कि बचवा सब बदमाश हो गया है…
LikeLike
तो लो जी हमने भी कर दिया "दुअन्निया इनवेस्टमेण्ट " पर बिना फल की इच्छा के !
LikeLike
समीर जी खांचीनुमा कुर्सी पर बैठे 'गोदयंत्र' को गोद में रखे जरूर है लेकिन देख कहीं और रहे हैं :) इसे कहते हैं 'खांची' पर बैठा 'खांटी ब्लॉगर' :)
LikeLike
मूलतः पाठक हैं। पढ़ा और मन हुआ तो टिप्पणी कर दी, वर्ना आगे बढ़ गए। कई बार सोच समझ कर टिप्पणी करने के लिए पढ़ा और पढ़ने पर मन नहीं हुआ और आगे बढ़ गए। टिप्पणी करना कभी बहुत जरूरी लगता है तो कभी बिलकुल फिजूल। आप ने टिप्पणिन्वेस्टमेंट पर बहुत विचार कर डाला है। लगता है बहुत दिनों बहुत खर्च कर के अब कंजूसी करने की योजना बन रही है।
LikeLike
यह बात तो कही जा चुकी है – पर आप न होते तो यह ऐसे कैसे कही जाती – "टिप्पणी काउण्टिंग फोबिया ने बहुत टिल्ल-टिल्ल टिप्पणियां छितरा दी हैं हिन्दी ब्लॉग पोस्टों पर। और कॉंस्टीपेटेड टिप्पणियों को लोग टिप्पणी-इनवेस्टमेण्ट मान कर चल रहे हैं। "आपके मुख्य आलेख (टिप्पनिवेस्टमेण्ट) और पाद-लेख (लिंकविदिन) का अन्तरानुशासनिक संबंध बहुत आकर्षित करता है मुझे ।
LikeLike
सबसे पहले पढ़ा आपका आलेख मगर सोचा की टिपण्णी तो समीरजी के बाद ही करेंगे …अभी तक नहीं आये ..?? कर ही देते हैं हम भी टिप्पणी + इनवेस्टमेण्ट = टिप्पनिवेस्टमेण्ट…एक और नया शब्द ईजाद करने की बधाई ..!!
LikeLike
फोटू हमारा और बात अपनी…आप सबसे फेमस ब्लॉगर तो हईये हैं, कुछ सेवा लिजिये और ऐसे विचार का क्रियांव्यन किजिये न..हम त आ ही जायेंगे पीछे हमेशा की तरह!!
LikeLike
अपनी शैली से विषयवस्तु को नया आयाम दे देते हैं। आभार ।
LikeLike