नत्तू पांड़े, नत्तू पांड़े कहां गये थे?

नत्तू पांड़े नत्तू पांड़े कहां गये थे?
झूले में अपने सो रहे थे
सपना खराब आया रो पड़े थे
मम्मी ने हाल पूछा हंस गये थे
पापा के कहने पे बोल पड़े थे
संजय ने हाथ पकड़ा डर गये थे
वाकर में धक्का लगा चल पड़े थे
नत्तू पांड़े नत्तू पांड़े कहां गये थे?!

 

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(संजय पेडियाट्रीशियन हैं – नत्तू पांड़े के फैमिली डॉक्टर| नत्तू पांड़े हैं पण्डित विवस्वान पाण्डेय। छोटे हैं तो क्या हुआ, नाम दमदार होना चाहिये न!

श्रीभगवानुवाच
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम्।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत्॥४-१॥
इस अव्यय योग को मैने विवस्वान को बताया। विवस्वान ने इसे मनु को कहा।
और मनु ने इसे इक्ष्वाकु को बताया॥)


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

26 thoughts on “नत्तू पांड़े, नत्तू पांड़े कहां गये थे?

  1. नत्तू पाँड़े से मिलने आना पड़ेगा जल्दी ही।नत्तू पाँड़े जी! खुश रहिए, इत्ते बड़े हो जाइए!और हम लोग आपके 'नत्तू' से 'विवस्वान' के साक्षी होने का सुख लगातार बढ़ता हुआ देखें, सेंसेक्स की तरह नहीं, जो अनियन्त्रित और अविश्वसनीय लगता है, बल्कि 'जीडीपी' की तरह जो क्रमश:, सुदृढ़ और विश्वसनीय ढंग से उन्नति पर अग्रसर हो।वैसे गुरूजी! (आप की गरिमा को और बढ़ा देता है यह संबोधन) आज बात खुल ही गई है तो बता दूँ – मेरी हर सम्पर्कसारणी में आप 'जीडीपी' नाम से ही उद्धृत हैं।चिरञ्जीव विवस्वान जी को आशीष, और हाँ! अच्छी पोस्ट के लिए आभार।

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  2. नाम तो बड़ा अच्छा ढूंढ़ लाये आप (या कोई और?). नत्तू के बारे में पढ़कर हम अपने आप को पिछली पीढ़ी का मानने लगते हैं.पिछली पोस्ट पर तो बड़ी दमदार टिपण्णीयाँ आई है. हम तो बस इतना ही सोच पाए की जीडी से जीडीपी ज्यादा बढ़िया लगता है.

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