महानता के मानक-2

सम्पत्ति, शक्ति, यश, सौन्दर्य, ज्ञान और त्याग।

ये 6 विशेषतायें न केवल आपको आकर्षित करती हैं वरन देश, समाज, सभ्यतायें और आधुनिक कम्पनियाँ भी इनके घेरे में हैं। यही घेरा मेरी चिन्तन प्रक्रिया को एक सप्ताह से लपेटे हुये हैं।

सम्प्रति शान्तिकाल है, धन की महत्ता है। आज सारी नदियाँ धन के सागर में समाहित होती हैं। एक गुण से आप दूसरा भी प्राप्त कर सकते हैं। मार्केट अर्थ व्यवस्था में सब आपस में इतना घुलमिल गये हैं कि पता ही नहीं लगता कि कब शक्तिशाली सांसद करोड़पति हो गये, कब यश पाये अभिनेता ज्ञानी हो गये, कब धन समेटने वाले यशस्वी हो गये, कब ज्ञानी अपनी योग्यता से कुबेर हो गये और कब त्यागी महात्मा वैभवशाली मठाधीश बन गये?

कृष्ण को पूर्णता का अर्पण दे, हम तो अपना परलोक सुधारते हुये कट लिये थे पर ये 6 देव घुमड़ घुमड़ चिन्तन गीला किये रहे।

ये कितनी मात्रा में हों, जिससे महान बन जायें? एक हों या अनेक? और क्या चाहिये महान बनने के लिये?

इतिहास खंगाल लिया पर कोई ऐसा महान न मिला जो इनमे से कोई भी विशेषता न रखता हो। ऐसे बहुत मिले जिनमे ये विशेषतायें प्रचुरता में थीं पर वे मृत्यु के बाद भुला दिये गये।

महानता की क्या कोई आयु होती है? क्या कुछ की महानता समय के साथ क्षीण नहीं होती है? ऐसा क्या था महान व्यक्तियों में जो उनके आकर्षण को स्थायी रख पाया?

अब इतने प्रश्न सरसरा के कपाल में घुस जायें, तो क्या आप ठीक से सो पाइयेगा? जब सपने में टाइगर वुड्स सिकन्दर को बंगलोर का गोल्फ क्लब घुमाते दिखायी पड़ गये तब निश्चय कर लिया कि इन दोनों को लॉजिकली कॉन्क्ल्यूड करना (निपटाना) पड़ेगा।

tiger-woods प्राचीन समय में महानता के क्षेत्र में शक्ति का बोलबाला रहा। एकत्र की सेना और निकल पड़े जगत जीतने और बन गये महान। उनके हाथों में इतिहास को प्रभावित करने की क्षमता थी, भूगोल को भी। धर्मों के उदय के संदर्भ में त्याग और ज्ञान ने महापुरुषों की उत्पत्ति की। विज्ञान के विकास में ज्ञान ने महान व्यक्तित्वों को प्रस्तुत किया। इस बीच कई चरणों में शान्ति के विराम आये जिसमें यश, सौन्दर्य और सम्पत्ति को भी महानता में अपना भाग मिला।

यह पोस्ट श्री प्रवीण पाण्डेय की “महानता के मानक” पर दूसरी अतिथि पोस्ट है। प्रवीण बेंगळुरू रेल मण्डल के वरिष्ठ मण्डल वाणिज्य प्रबन्धक हैं।

सम्प्रति शान्तिकाल है, धन की महत्ता है। आज सारी नदियाँ धन के सागर में समाहित होती हैं। एक गुण से आप दूसरा भी प्राप्त कर सकते हैं। मार्केट अर्थ व्यवस्था में सब आपस में इतना घुलमिल गये हैं कि पता ही नहीं लगता कि कब शक्तिशाली सांसद करोड़पति हो गये, कब यश पाये अभिनेता ज्ञानी हो गये, कब धन समेटने वाले यशस्वी हो गये, कब ज्ञानी अपनी योग्यता से कुबेर हो गये और कब त्यागी महात्मा वैभवशाली मठाधीश बन गये? दुनिया के प्रथम 100 प्रभावशाली व्यक्तित्वों में 90 धनाड्य हैं। बड़ी बड़ी कम्पनियाँ कई राष्ट्रों की राजनैतिक दिशा बदलने की क्षमता रखती हैं। लोकतन्त्र के सारे रास्तों पर लोग केवल धन बटोरते दिखायी पड़ते हैं।

यदि धन की यह महत्ता है तो क्या महानता का रास्ता नोटों की माला से ही होकर जायेगा? क्या यही महानता के मानक हैं?

अवसर मिलने पर जिन्होने अपनी विशेषताओं का उपयोग समाज को एक निश्चित दिशा देने में किया वे महान हो गये। महान होने के बाद भी जो उसी दिशा में चलते रहे, उनकी महानता भी स्थायी हो गयी।

आज अवसर का कोई अभाव नहीं है। इन 6 विशेषताओं को धारण करने वाले कहाँ सो रहे हैं?


यह पोस्ट मेरी हलचल नामक ब्लॉग पर भी उपलब्ध है।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

22 thoughts on “महानता के मानक-2

  1. @ Udan Tashtariआप पोस्ट दुबारा पढ़ गये । अहो भाग्य ! आज रात को नींद नहीं आयेगी । @ mamtaधन हर जगह पहुँच गया है, हमारे दिमाग में भी ।@ संजय बेंगाणीधन साधन है, साध्य नहीं ।@ Arvind Mishraआपकी टिप्पणी वार्ता को नया विचार दे गयी । @ परमजीत बालीबहुत ही विचारशील वक्तव्य ।@ सतीश सक्सेनाव्यक्तित्व महत्वपूर्ण है, धन से दूषित न होने पाये । कनक कनक से सौ गुनी मादकता अधिकाय

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  2. दाऊद इब्राहीम के पास बहुत सारा पैसा और ताकत है, बिन लादेन उससे भी बड़ी ताकत रखता है. लेकिन शायद ये लोग महान नहीं हैं अमिताभ बच्चन और सचिन तेन्दुलकर अपने अपने क्षेत्र की माहन हस्तियाँ हैं. मेरी एक परिचित दया दीदी महान हैं जिन्होंने अपनी पिता की मृत्यु के बाद(जब वह १९-२० साल की युवा थीं) .अपनी पागल माँ को और छोटे भाई बहिनों को सम्भाला. स्वयं कुंवारी रह कर उनकी पढाई- लिखाई और शादियाँ कीं और अंत में भाई द्वारा प्रताड़ित और निष्काषित होने के बाद भी उनके माथे पर शिकन नहीं आयी.

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  3. मैं कई बार बच्चों से कहता हूँ कि धन के साथ आदमी का व्यक्तित्व भी बदल जाता है बदसूरत भी खूबसूरत लगता है और मूर्ख से लोग राय मांगते हैं ! आज तो आपने मानसिक हलचल ही मचा दी !

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  4. वर्तमान की महानता धन से आती है…भूतकाल की महानता कर्म से आती है…भविष्य काल की महानता गुणो से आती है…

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  5. हम तो धन को साधन मानते है. साध्य आपको अपनी मति के अनुसार तय करना होता है. महानता या निचता वह साध्य तय करता है.

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  6. कह सकते है कि धन और महानता एक-दूसरे के पूरक जैसे है। क्यूंकि जिसके पास है धन है वो अपनेआप ही महान हो जाता है और आजकल तो इसका उदाहरण हर तरफ दिखाई दे रहा है।

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  7. यही तो कल भी पढ़े थे..वो कहाँ है पोस्ट…ये तो आप कन्फ्यूज कर दिये.

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  8. बहुत ही अच्छा विचार है / अच्छी विवेचना के साथ प्रस्तुती के लिए धन्यवाद /आपको मैं जनता के प्रश्न काल के लिए संसद में दो महीने आरक्षित होना चाहिए इस विषय पर बहुमूल्य विचार रखने के लिए आमंत्रित करता हूँ /आशा है देश हित के इस विषय पर आप अपना विचार जरूर रखेंगे / अपने विचारों को लिखने के लिए निचे लिखे हमारे लिंक पर जाये /उम्दा विचारों को सम्मानित करने की भी व्यवस्था है / http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/04/blog-post_16.html

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