रामपुर

DSC02658आज सवेरे आठ बजे रामपुर था, मेरी काठगोदाम तक की यात्रा में। चटकदार सफेद यूनीफार्म में एक दुबले सज्जन ने अभिवादन किया। श्री एस के पाण्डे। स्टेशन मैनेजर। बताया कि वे जौनपुर के हैं पर अवधी का पुट नहीं था भाषा में। बहुत समय से हैं वे रामपुर में।

रामपुर मुस्लिम रियासत थी। शहर की ढाई लाख की आबादी में साठ चालीस का अनुपात है मुस्लिम हिंदू का। मोहम्मद आजम खान हिंयां राजनीति करते हैं। राजनीति या नौटंकनीति? एक बार तो वे स्टेशन के प्लेटफार्म पर पसर गये थे – इस बात पर कि उनके बाप दादा के जमाने का फर्श तोड़ कर टाइल्स क्यों लगवाई जा रही हैं।

स्टेशन की इमारत अच्छी है। बाहर एक बड़ा पाकड़ का पेड़ दिखा। मानो पीपल को अपना कद कम करने को विवश कर दिया गया हो। या उसे उसकी माई ने हाइट बढ़ाने के कैप्स्यूल न खिलाये हों! प्लेटफार्म पर भी पाकड़ थे। उनके चौतरे पर लोग बैठ सकते थे छाया में।

DSC02657 मेरे इंसपेक्टर महोदय ने कहा कि साहब एक ही चीज प्रसिद्ध है रामपुर की – रामपुरी चाकू। गाड़ी बीस मिनट रुकती है। खरीद लायें क्या? मैने कोई उत्सुकता नहीं जताई।

स्टेशन के पास घनी आबादी है। श्री पाण्डे बताते हैं कि ज्यादा पुरानी नहीं है। कुछ दशकों में बसी है।

मैने पूछा – रामपुर का राम से कुछ लेना देना है? पाण्डेजी बोले – कुछ समय से लोग बोलने लगे हैं कि पास में कोसी नदी बहती हैं; वहां राम जी आये थे। नहीं तो यह जगह शायद रमपुरा गांव थी।

भगवान राम चन्द्र पहले लोक संस्कृति में थे, पर अब उनको बहुत लोग अपने अपने एरिया में बुलाने लगे हैं!  :-)


हल्द्वानी में ट्रेन हॉल्ट के दौरान पोस्ट की गयी यह।


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

17 thoughts on “रामपुर

  1. रामपुर के बारे में और अधिक लिखते तो ज्ञानवर्द्धन होता। हम ता जयाप्रदा और नकवी के नाम से ही रामपुर को जानते हैं।

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  2. मेरे जीवन की सबसे पुराणी यादें रामपुर की ही हैं. आज भी यदि उत्तर भारत में ब्राह्मणों के घर में मुसलमान रसोइयों को बेफिक्री से खाना पकाते देखना हो तो रामपुर से बेहतर जगह नहीं मिलेगी शायद. रामपुरी चाकू तो मशहूर हैं ही – तरह तरह की सुन्दर और अनूठी शक्लों में – बटन वाले बारह-इंची काफी प्रयोग में आते थे.

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  3. राजनीति या नौटंकनीति….अधिकतर आप इनलोगों पर नहीं लिखते हो …इस बार नीति बदलाव ..?चक्कू खरीद लेते ब्लाग जगत के लिए काम आता …:-)

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  4. हल्द्वानी के बारे में भी बताएँ. काफी मनोरम स्थल है ..

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  5. ये रामपुर रामपुरिया के लिए ख्यात है या जयप्रदा के लिए ????????? :)

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  6. हमारे पारंपरिक चिकित्सक कहते हैं कि जब भी पाकर का वृक्ष दिखे तो बिना देर उससे लिपट जाना चाहिए| नंगे बदन हो तो ज्यादा अच्छा है| यह बहुत से शारीरिक विकारों को दूर करता है|इसमे जब फल लगते है तो बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं| उस समय शायद यात्री इसके नीचे न बैठते हों, कपडे खराब होने के डर से| वैसे पक्षियों को बुलाने का काम पाकर का ही है ताकि वे दूर-दूर तक फैलते रहें| कुछ वर्षों पहले एयरपोर्ट के पास लगाए जाने वाले वृक्षों पर प्रेजेंटेशन के दौरान एक कंपनी अधिकारी ने गलती से पाकर लगाने की बात कह दी| उसे उसी समय रोक दिया गया|

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