पर्यटन क्या है?

मैं पर्यटन पर नैनीताल नहीं आया। अगर आया होता तो यहां की भीड़ और शानेपंजाब/शेरेपंजाब होटल की रोशनी, झील में तैरती बतख नुमा नावें, कचरा और कुछ न कुछ खरीदने/खाने की संस्कृति को देख पर्यटन का मायने खो बैठता।

DSC02698 पैसे खर्च कर सूटकेस भर कर घर लौटना क्या पर्यटन है? या अब जब फोटो खीचना/वीडियो बनाना सर्व सुलभ हो गया है, तब पिंकी/बबली/पप्पू के साथ सन सेट का दृष्य उतारना भर ही पर्यटन है?

पता नहीं, मैं बहुत श्योर नहीं हूं। मैं इसपर भी पक्की तरह से नहीं हुंकारी भर सकता कि फलानी देवी या फलाने हनुमान जी को मत्था टेक पीली प्लास्टिक की पन्नियों में उनके प्रसाद के रूप में लाचीदाना ले लौटना भी पर्यटन है। मैने काठगोदाम उतर कर सीधे नैनीताल की दौड़ नहीं लगाई। मुझे वहां और रास्ते के अंग्रेजी बोर्डिंग स्कूलों में भी आकर्षित नहीं किया। एक का भी नाम याद नहीं रख सका।DSC02670

ड्राइवर ने बताया कि काठगोदाम में कब्रिस्तान है। मेरी रुचि वहां जा कर उनपर लगी प्लेक पढ़ने में थी। ड्राइवर वहां ले नहीं गया। पर वह फिर कभी करूंगा। मुझे रस्ते के चीड़ के आसमान को चीरते वृक्षों में मोहित किया। और मैं यह पछताया कि मुझे कविता करनी क्यों नहीं आती। ढ़ाबे की चाय, रास्ता छेंकती बकरियां, पहाड़ी टोपी पहने झुर्रीदार बूढ़ा, भूस्खलन, दूर पहाड़ के ऊपर दीखती एक कुटिया – ये सब लगे पर्यटन के हिस्से।DSC02687

खैर, यह मुझे समझ आता है कि सूटकेस भर कर घर लौटने की प्रक्रिया पर्यटन नहीं है।

चीड के पेड़, धान के खेत, पाकड़ के वृक्ष, पहाड़ी  सर्पिल गौला नदी शायद अपनी सौन्दर्य समृद्धि में मगन थे। पर अगर वे देखते तो यह अनुभव करते कि ज्ञानदत्त का ध्यान अपनी घड़ी और अपने पर्स पर नहीं था – वह उनसे कुछ बात करना चाहता था। वह अभी पर्यटक बना नहीं है। अभी समझ रहा है पर्य़टन का अर्थ।

इतनी जिन्दगी बिता ली। कभी तो निकलेगा वह सार्थक पर्यटन पर!


मेरा सार्थक पर्यटन कहना शायद उतना ही सार्थक है जितना अपनी पुस्तक को समर्पित करती अज्ञेय की ये पंक्तियां:
यद्यपि उतना ही निष्प्रयोजन, जितना
एक प्राचीन गिरजाघर से लगे हुये एक भिक्षु-विहार में बैठ कर
अन्यमनस्क भाव से यह कहना कि “मैं जानता हूं
एक दिन मैं फकीर हो जाऊंगा।”


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

31 thoughts on “पर्यटन क्या है?

  1. अजी हम तो सर्द देश मे रहते हे, ओर गर्मियो मे गर्म देश मै जा कर खुब घुमते भी हे, धुप भी लेते हे, बचत भी करते हे, जब गये ही हे तो फ़ोटू ओर विडियो भी खींच लेते हे, खर्च तो होता हे ही हे लेकिन पर्स खाली कर के नही आते, ओर यही गर्मी हमे फ़िर से जवान बना देती हे, अब इसे आप कुछ भी समझे, मजबुरी या पर्यटन हम तो इसे छुट्टियां मनाना कहते हे, इस साल हमारे यहां खुब गर्मी रही तो घर मे ही छुट्टिया मना ली :)

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  2. ये बोलती हुई पंक्तियां, ये बोलते हुए चित्र, ये सब एक कविता की ही रचना तो करते हैं। अगर आपको बुरा न लगे तो क्षमायाचना सहित कहने की धृष्टता करना चाहूंगा कि आप जब यात्रा पर निकलते हैं तो आपके ब्लोग के विषय रिच हो जाते है। जब आप इलाहाबाद में रह्ते हैं तो आप…। काश आप ज्यादा यात्रायें करें और और ज्यादा लिखें।

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  3. मनोज कुमार जी काहार्दिक धन्यवादउन्होंने हमेंएक क्षन में हीसिखा दिया कैसे कविता लिखी जाती है।ज्ञानजी से यह अनुरोध हैकि मेरी इस कविता को उल्टी युक्ति सेगद्य में बदलकरमेरी टिप्प्णी समझें।शुभकामनाएंजी विश्वनाथ(बेंगलूर स्थित कुख्यात quack कवि)

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  4. ये पोस्ट कविता ही तो है!मैं पर्यटन पर नैनीताल नहीं आया। अगर आया होता तो यहां की भीड़ और होटल की रोशनी, झील में तैरती बतख नुमा नावें, कचरा और कुछ न कुछ खरीदने/खाने की संस्कृति देख पर्यटन के मायने खो बैठता।पैसे खर्च कर सूटकेस भर कर घर लौटना क्या पर्यटन है? या अब जब फोटो खीचनावीडियो बनाना सर्व सुलभ हो गया है, तब पिंकी/बबली/पप्पू के साथ सन सेट का दृष्य उतारना भर ही पर्यटन है?

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  5. सैर सपाटा शायद ज्यादा सटीक और सार्थक है -सैर कर दुनिया की गाफिल कि ये जिन्दगी फिर कहाँजिन्दगी गर है भी तो ये नौजवानी फिर कहाँ ?सैर सपाटे की एक उम्र होती है -किस्मत पे उस मुसाफिरे बेकस के रोईये ,जो थक गया हो राह में मंजिल के सामने

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  6. पर्यटन अपने आप में एक ज़िलियन डॉलर इंडस्ट्री है. कितनी कम्पनियाँ अखबारों में पूरे पन्ने के विज्ञापन छपवाती हैं, कई बार उनमें शोपिंग भी कराने के ऑफर होते हैं.खैर मेरे लिए पर्यटन सिर्फ़ खुद के साथ रहने और अजनबी जगह और अजनबी लोगों से मिलना होता है.manojkhatrijaipur.blogpsot.com

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  7. प्रकृति से निरन्‍तर सम्‍वादरत रहते हुए खुद को तलाशते रहना और कभी तृप्‍त, सन्‍तुष्‍ट न होना पर्यटन नहीं?

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