पिलवा का नामकरण


जवाहिरलाल मुखारी करता जाता है और आस पास घूमती बकरियों, सुअरियों, कुत्तों से बात करता जाता है। आते जाते लोगों, पण्डा की जजमानी, मंत्रपाठ, घाट पर बैठे बुजुर्गों की शिलिर शिलिर बातचीत से उसको कुछ खास लेना देना नहीं है। एक सूअरी पास आ रही है। जवाहिर बोलने लगता है – आउ, पण्डा के चौकीContinue reading “पिलवा का नामकरण”