लंगड़ जवाहिरलाल

लंगड़ जवाहिरलाल

कई दिन से घूमने नहीं जा पाया था। आज सयास पत्नीजी के साथ गंगा किनारे गया। आज श्रावण शुक्लपक्ष अष्टमी है। शिवकुटी के कोटेश्वर महादेव मन्दिर पर मेला लगता है। उसकी तैयारी देखने का भी मन था।

शिवकुटी घाट की सीढियों पर जवाहिरलाल अपने नियत स्थान पर था। साथ में बांस की एक खपच्ची लिये था। बांया पैर सूजा हुआ था।

क्या हुआ? पूछने पर उसने बताया – स्कूटर वाला टक्कर मार देहे रहा। हड्डी नाहीं टूटी बा। गरम तेल से सेंकत  हई। (स्कूटर वाले ने टक्कर मार दी थी। हड्डी नहीं टूटी है। गरम तेल से सिंकाई करता हूं।)

जवाहिर लाल जितना कष्ट में था, उतना ही दयनीय भी दिख रहा था। सामान्यत: वह अपने हालात में प्रसन्नमन दिखता है। कुत्तों, बकरियों, सूअरों से बोलता बतियाता। मुखारी करता और बीच बीच में बीड़ी सुलगाता। आज उसके पास एक कुत्ता – नेपुरा बैठा था, पर जवाहिर लाल वह जवाहिर नहीं था, जो सामान्यत: होता था।

मेरी पत्नी जी ने फिर पूछा – डाक्टर को दिखाये? दवाई कर रहे हो? 

उसका उत्तर टेनटेटिव सा था। पूछने पर बताया कि आठ नौ दिन हो गये हैं। डाक्टर के यहां गया था, उसने बताया कि हड्डी नहीं टूटी है। मेरी पत्नीजी ने अनुमान लगाया कि हड्डी वास्तव में नहीं टूटी होगी, अन्यथा चल नहीं पाता। सूजन के बारे में पूछने पर बताया – पहिले एकर डबल रही सूजन। अब कम होत बा। (पहले इसकी डबल सूजन थी, अब कम हो रही है।)

मैने सोचा, उसकी कुछ सहायता कर दूं। जेब में हाथ गया तो पर्स में कोई छोटा नोट नहीं मिला। पांच सौ रुपया था। एक बार विचार आया कि घर जा कर उसे सौ-पचास भिजवा दूं। फिर मन नहीं माना। उसे वह नोट थमा दिया – क्या पता घर जाते जाते विचार बदल जाये और कुछ भी न देना हो!

पत्नीजी ने इस कदम का मौन समर्थन किया। जवाहिरलाल को धमकाते हुये बोलीं – पी मत जाना, सीधे सीधे डाक्टर के पास जा कर इलाज कराना।

जवाहिरलाल ने पैसा लेते हुये हामी भरी। पत्नीजी ने हिदायत दुबारा री-इटरेट की। हम लोग घर लौटे तो जेब हल्की थी, मन जवाहिर की सहायता कर सन्तोषमय था। … भगवान करें, जल्दी ठीक हो जाये जवाहिरलाल। 

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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

19 thoughts on “लंगड़ जवाहिरलाल

  1. जवाहर के शरीर की पीड़ा तो डॉक्टर के यहाँ जाकर कम हो जायेगी, आपकी सहायता ने उसका मन संजीवनी से भर दिया होगा, कितना स्थिर हो गया होगा उसका विश्वास।

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  2. दुख हुआ। जवाहिरलाल का हालचाल जानने आते रहेंगे।

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    1. आज (अगले दिन) वह अपने नियत स्थान पर था। पूछने पर बताया कि डाक्टर को नहीं दिखाया कल – मेला चल रहा था। आज जायेगा। पैर की सूजन कुछ कम थी।

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      1. डाक्टर के पास न जाने का डर मुझे था। सूजन अपने आप ही कम होती रहे तभी बेहतर है।

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