ठेले पर मसाला पीसने वाला चलता है। फेरीवाले की तरह। लोग अपने मसाले पिसवाते हैं। गीली दाल पिसवा कर पीठी बनवाते हैं।
परसों हमारे चीफ सेफ्टी अफसर श्री एनके अम्बिकेश ऐसे और बिजनेस मॉडल बता रहे थे। पंजाबी सरदार वाशिंग मशीन का प्रयोग लस्सी बनाने के लिये तो करते ही हैं। उन्होने एक ऑटो-ड्रिवन ट्रॉली पर एक वाशिंग मशीन और जेनरेटर ले कर चलते बन्दे को देखा। जहां किसी ने धुलाई के लिये कपड़े दिये; वहां रुका। कपड़े धो कर स्पिन किये और काम खतम कर पैसे ले आगे चल दिया।
आपने देखी ऐसी चलती फिरती लॉण्ड्री?
आज शाम मैं सब्जी लेने पैदल गया। शाम के धुंधलके में फोटो तो ठीक नहीं आये पर आंखों ने फुटपाथिया बिजनेस मॉडल देखे। एक ओर मच्छरदानी बेचता व्यक्ति था। पोर्टेबल मच्छरदानी। डबल बेड की 950रुपये की और सिंगल बेड की 600रुपये की। छोटे बच्चों के लिये भी ये थीं। यहीं रेस्ट हाउस के पास था वह। मैने मोल-भाव नहीं किया। अन्यथा दाम कुछ तो कम होते ही।
दूसरी ओर सड़क के किनारे लगता है खुले में क्वासी-परमानेण्ट तरीके से बैठते हैं दूध का बाल्टा लिये लोग। वे दूघ नहीं बेच रहे थे। वहीं औंटा कर खोआ, पेड़ा और दूध फाड़ कर पनीर बेचते। पेड़ा था 60रुपये पाव। कार से लोग रुक कर लेते-भाव पूछते दिखे। दूध गरम करने की भट्टी तो परमानेण्ट टाइप दिखी।
मैं फोटो लेने लगा तो पास बैठा भूरा कुकुर भूंकने लगा। उसे मेरा पोज आक्रामक लगा शायद। दूध वाले के पास बैठा कुकुर भी शायद कुछ आहार पा जाता हो।
वापसी में धुंधलके में एक पुलिस वाला अपनी मोटरसाइकल रोक बतियाता भी दिखा उनसे। मुझे लगा कि उसका भी पदेन बिजनेस मॉडल काम करता होगा इन फुटपाथ के बिजनेस से।
आप भी जानते हैं कुछ ऐसे या इससे बेहतर अनूठे बिजनेस मॉडल?!
प्रत्यक्ष सबसे बड़ा प्रमाण है और उसी की प्रामाणिकता से युक्त मॉडल।
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ऐसे ही टहलिये ! और मिलेंगे बिजनेस मॉडल !
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इनको सलाम।कपडे धोने के लिए पानी का जुगाड़ कहाँ से करता होगा यही सोच रहा था
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मुंबई में देखा है कई जगहों पर लोगों को मिटटी बेचते हुए.तुलसीजी के गमले में डालना हो या मनी प्लांट उगाना हो , गमले में मिटटी तो होनी ही चाहिए.मिटटी की पोषकता का अंदाज़ा नहीं पर कॉलोनी/सोसाइटी के बाहर की मिटटी प्रदूषित मालूम पड़ती है लोगों को.
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