रेलवे के किसी दफ्तर में चले जाओ – मुंह चुचके हुये हैं। री-ऑर्गेनाइजेशन की हवा है। जाने क्या होगा?! कोई धुर प्राइवेटाइजेशन की बात कहता है, कोई रेलवे बोर्ड के विषदंत तोड़े जाने की बात कहता है, कोई आई.ए.एस. लॉबी के हावी हो जाने की बात कहता है। कोई कहता है कि फलाना विभाग ढिमाकेContinue reading “रेल का रूपांतरण”
