श्री राजनाथ राय के घर

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श्री राजनाथ राय की धर्म पत्नी

होली के बाद लोगों से मिलने की परम्परा निबाहने के लिये हम – मैं और मेरी पत्नीजी – आज सवेरे सैर करते हुये पास के गांव भगवान पुर में राजनाथ राय जी के घर की ओर चले गये। राजनाथ जी मेरे श्वसुर श्री (स्वर्गीय) शिवानन्द दुबे जी के अभिन्न हुआ करते थे। बताते हैं कि अपने घर से एक मुखारी मुंह में लिये मेरे श्वसुरजी उनके घर तक पहुच जाते थे सवेरे सवेरे टहलते हुये।

राजनाथ जी घर पर नहीं थे। स्वागत उनकी पत्नी और उनके पुत्रों ने किया। घर के पास ही राजनाथ जी के खेत हैं। लगभग छ-आठ बीघे। बहुत मेहनत करते है वे और उनके परिवार के लोग। उनके पास एक ट्यूबवेल भी है। पूरी सिंचित और उपजाऊ भूमि और उसमें कड़ी मेहनत – कुल मिला कर अच्छी खेती और ग्रामीण परिवार का आदर्श देखने में मिलता है उनके यहां।

उनकी पत्नी बहुत मिलनसार हैं। गांव की महिलाओं की तरह छुई-मुई नहीं। स्वागत सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़तीं। सात आठ लोग भी असमय बिना पूर्व सूचना के पंहुच जायें तो उनके भोजन का इन्तजाम करने में दक्ष। बोलने बतियाने में भी अपने परिवेश के बारे में सजगता और ग्रामीण मुद्दों पर निश्चित राय के दर्शन होते हैं। मुझे वे जीजा कहती हैं और उस नाते पूरी बेकतुल्लुफ़ी दिखाती हैं। मेरे हाथों को अपने हाथों में ले कर स्वागत किया उन्होने – ऐसा किसी और महिला ने कभी किया हो – याद नहीं आता। उन्होने होली के अवसर पर न आने का उलाहना भी दिया।

भोजन कराने की बात कर रही थीं सवेरे साढ़े सात बजे। मैने एक ग्लास चाय पिलाने को कहा। हमें बैठने के लिये कुर्सियां बाहर निकालीं और खुद सामने सरसों की कटी फसल पर बैठ गयीं।

घर परिवार की बातें। खेत खलिहान की बातें। बेटे बहू से सम्बन्धों की बातें। बातो और बातों की शैली में उनका जोड़ नहीं।

श्री राजनाथ राय का घर, भगवानपुर, भदोही
श्री राजनाथ राय का घर, भगवानपुर, भदोही

करीब आधा घण्टा बैठे हम वहां। उन्होने अपनी सब्जियों की क्यारियां भी दिखाईं और चने की नयी फसल के दाने छील कर देने की पेशकश भी की। हमने कहा कि अगली बार आयेंगे, तब ले जायेंगे।

मैं संकोची जीव हूं और महिलाओं के साथ तो और भी। पता नहीं श्रीमती राय में क्या आकर्षण है कि उनके साथ बातचीत में बहुत सहजता महसूस होती है।

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

3 thoughts on “श्री राजनाथ राय के घर

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    निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
    बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

    बात मात्र लिख भर लेने की नहीं है, बात है हिन्दी की आवाज़ सुनाई पड़ने की ।
    आ गया है #भारतमेंनिर्मित #मूषक – इन्टरनेट पर हिंदी का अपना मंच ।
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    जय हिन्द ।

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  2. दिखावटी शिष्टाचार और सौजन्य-प्रदर्शन के युग में सहज पारस्परिकता और अकुण्ठ मानवीय लगाव विरल परिघटना के रूप में सामने आते हैं . एक खास माहौल में रहने के बाद तो और भी . पर गांव-गिराम में ऐसी सहजता और आत्मीयता के दर्शन अब भी जब-तब होते रहते हैं . आपकी यह पोस्ट श्रीमती राय के सद्व्यवहार और उनकी सहज आत्मीयता के प्रति आदर-भाव जगाती है .

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