डा. दुर्गातोष पाण्डेय ऑन्कॉलॉजिस्ट हैं। केंसर विशेषज्ञ। भारत के अन्यतम केंसर विशेषज्ञों में अग्रणी। उम्र लगभग 44 साल। गूगल सर्च करने पर उनके विषय में शब्द उभरते हैं – बेस्ट ऑन्कॉलॉजिस्ट ऑफ़ इण्डिया। गूगल पर उनके विषय में 19 रिव्यू हैं और सब पॉजिटिव! रेटिंग 4.9/5 है। लगभग यही रेटिंग उनके फ़ेसबुक पेज पर है।
मुझे लगा कि यह व्यक्ति तो केंसर के फील्ड में ही घूमता होगा। सोते जागते उसे केंसर की बलात म्यूटेट करती सेल्स ही नजर आती होंगी। बातचीत में भी उसी फ़ील्ड की भारी भरकम टर्मिनॉलॉजी से लोगों को आतंकित करता होगा।
अपने लड़के की ब्रेन इंजरी के चक्कर में अनेकानेक न्यूरोसर्जन्स से पाला पड़ा है मेरा। उनमें से अधिकांश (तीन अन्यतम व्यक्तियों को छोड़) अपने क्षेत्र की विशेषज्ञता के केकून में बंधे नजर आये। अत: विशेषज्ञ डा्क्टरों के प्रति मन में कोई बहुत अच्छी धारणा नहीं है मेरी।

जब डाक्टर पाण्डेय से मिलने का योग बना तो यही विचार मन में था। उनके बारे में नेट पर जो सामग्री छानी, उसमें एक बात ने ध्यान आकर्षित किया – दुर्गातोष जी ने एक पुस्तक लिखी है। अ पीप इनटू वॉइड (A Peep into Void)| यह केंसर विषयक नहीं है। क्वाण्टम थियरी, यूनिफ़ाइड फील्ड थियरी, काल, अनन्तता, पदार्थ और ऊर्जा के आपसी सम्बन्ध, दर्शन, भौतिकी, गणित और तर्कशास्त्र के इलाके की पुस्तक है।
अजीब लगा मुझे। अपने अतीत के बारे में कई बातें मुझे याद हो आयीं। याद आये अपने गणित के डीन डा. विश्वनाथ कृष्णमूर्ति। जो हमें ललचाते रहे कि अपनी इन्जीनियरिंग की पढ़ाई की बजाय गणित पकड़ें और जीवन में फील्ड मेडल पाने का सपना पालें। याद आये बायोलॉजी के प्रोफेसर दासगुप्ता जिन्होंने कोशिका के म्यूटेट होते समय धनात्मक आयन के एकाएक 180 अंश पलट कर जाने की बात कही थी और मैं दो दिन अपने द्वितीय वर्ष की भौतिकी/गणित के सहारे उसकी थ्योरी रचने की कोशिश करता रहा। अन्तत: जो बनना था, वही बना। रेल परिचालन का प्रबन्धक – जिसमें दसवीं दर्जा से ज्यादा की पढ़ाई की जरूरत नहीं होती। पर अपने कार्य के क्षेत्र से इतर कुछ कर दिखाने की एक ललक जो मन में होती है – और जिस ललक के कारण डा. दुर्गातोष पाण्डेय ने यह पुस्तक लिखी होगी – उस मनस्थिति को बखूबी जानता हूं मैं।
खैर, डा. दुर्गातोष तो यूनीफ़ाइड फील्ड थ्योरी के क्षेत्र में न जाने पर भी एक अन्यतम विषय के अन्यतम विशेषज्ञ बन गये। लिहाजा उनके मन में कोई मलाल तो नहीं ही होगा कि गणितज्ञ/दार्शनिक/तर्कशास्त्री/भौतिक-विज्ञानी या उप्निषदिक जगत के विद्वान नहीं बने। और जो उनसे मिल कर मुझे लगा – वे अन्यतम इन्सान अवश्य हैं।
उनकी पुस्तक A Peep into Void नुक पर तो है, पर अमेजन किंडल पर नहीं। अमेजन से पेपरबैक में इस लिये नहीं खरीदी कि जाने कितने दिन बाद मिलेगी और गांव के पते पर कहीं डिलिवर होने की बजाय वापस न चली जाये। मैने डा. दुर्गातोष से अनुरोध अवश्य किया है कि उसे किण्डल पर उपलब्ध कराने के लिये अपने पब्लिशर को कहें। देखें, क्या होता है।
वैसे उनका विषय मेरे लिये बहुत रोचक है। डॉन ब्राउन का उपन्यास – एंजल्स एण्ड डेमोन्स (Angels and Demons) अभी अभी खत्म किया है मैने जिसमें मैटर और एण्टीमैटर के योग से ऊर्जा बनने की अवधारणा से बहुत बढ़िया थ्रिलर बन गया है। मन में मैटर/एण्टीमैटर और ऊर्जा के योग संयोग घूम रहे हैं और उस में डा. पाण्डेय की पुस्तक पर छपा सर्प युग्म (सर्प, जो एक दूसरे को खा कर पूरी तरह समाप्त हो जायेंगे। दोनों में से कोई नहीं बचेगा!)
डा. दुर्गातोष से मिल कर एक बात जो मुझे बहुत अच्छी लगी, वह उनकी सहजता और उनकी सामान्य व्यक्ति/मरीज से सम्प्रेषण की खूबी थी। हिन्दी में अपने मरीजों से बात करते हुये जबरी विषेषज्ञता के भारी भरकम शब्द ठेल कर उन्हे आतंकित नहीं कर रहे थे। अन्यथा, विकास दुबे जैसा मेरा ब्रदर-इन-लॉ, जो ऑपरेशन के नाम से वैसे ही घबरा रहा था और नम आंखों वाली उसकी पत्नी निधि कभी भी सहज न हो पाते। अपनी पुस्तक के प्रारम्भ में उन्होने अपने को हम्बल केंसर सर्जन कहा है। यही विनम्रता उनकी यू.एस.पी. है!
डा. दुर्गातोष ने कभी अपने (बतौर ऑन्कॉलॉजिस्ट) मानवीय अनुभवों पर कोई पुस्तक लिखी तो मैं समझता हूं कि बहुत सशक्त पुस्तक होगी वह! और 44 साल की उम्र तथा 12 साल बतौर विशेषज्ञ अनुभव के आधार पर वह पुस्तक जरूर लिखी जा सकती है! इस बीच इस पुस्तक – अ पीप एनटू वॉइड पढ़ने की इच्छा रखता हूं।
डॉ पाण्डे और उनकी पुस्तक से परिचय कराने के लिए हृदय से साधुवाद। जब पुस्तक पढ़ें तो कृपया कंटेट के बारे में भी कुछ जानकारी दीजिएगा, कोशिश रहेगी कि मंगवाकर पढ़ें। कैंसर विशेषज्ञ की ब्रह्माण्ड विज्ञान पर पुस्तक निश्चय ही रोचक होनी चाहिए।
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बढिया ! बहुत दिन बाद पढे आपके पोस्ट ! आनन्दित हुये !
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nice articles thanks for with us
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