शादियों का मौसम है। गांवों में पहले लोग तिलक, गोद भराई और शादी की झांपियों के लिये हलवाई लगाते थे जो लड्डू, खाझा और हैसियत अनुसार अन्य मिठाई बनाता था। झांपी बांस की टोकरियों को कहा जाता है; जिन्हें मंगल कार्य अनुसार लाल-पीला रंग में रंग दिया जाता था। तिलक और गोद भराई में फलContinue reading “शादियों का मौसम और लड्डू-खाझा की झांपियाँ”
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गणतन्त्र जलेबीतन्त्र
आज गणतन्त्र दिवस की सुबह मुझे जलेबी लाने को आदेश मिला घर में। सामान्यत: साइकिल से जाता था; आज जल्दी थी और अशोक (कार ड्राइवर) उपस्थित था; सो कार से गया। जलेबी की जिस दुकान से आम तौर पर लेता था, वहां भीड़ लगी थी। उसने बताया कि आप को आधा घण्टा इन्तजार करना पड़ेगा।Continue reading “गणतन्त्र जलेबीतन्त्र”
महराजगंज कस्बे के रेस्तराँ में चिन्ना (पद्मजा) पांड़े
आप कहेंगे कि चाऊमीन पर इतना ज्यादा क्या कोई लिखने की बात है? पर आप पांच साल का गांव में रहने वाला बच्चा बनिये और तब सोच कर देखिये! … आपको यह सब पढ़ते समय अपने को शहरी-महानगरी कम्फर्ट जोन से बाहर निकाल कर देखना होगा।
