दो महीना पहले तमिलनाडु से गांव लौटे थे राजधर। वहां कोयम्बटूर में किसी धागा बनाने वाली कम्पनी में कारीगर थे। अभी वापस जाने की नहीं सोची है। “कम से कम चार-पांच महीने तो यहीं रहना है।”
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
दो महीना पहले तमिलनाडु से गांव लौटे थे राजधर। वहां कोयम्बटूर में किसी धागा बनाने वाली कम्पनी में कारीगर थे। अभी वापस जाने की नहीं सोची है। “कम से कम चार-पांच महीने तो यहीं रहना है।”