राघवेंद्र ने व्यर्थ के सामान-सजावट में पैसा बर्बाद नहीं किया है। त्वरित सर्विस कर एक साथ दो तीन बसों के यात्रियों को संतुष्ट करने का जो सिस्टम बनाया है, वह आकर्षित करता है।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
राघवेंद्र ने व्यर्थ के सामान-सजावट में पैसा बर्बाद नहीं किया है। त्वरित सर्विस कर एक साथ दो तीन बसों के यात्रियों को संतुष्ट करने का जो सिस्टम बनाया है, वह आकर्षित करता है।