आज की यात्रा के शिव-तत्व-दर्शन में दूसरी घटना प्रेम सागर त्रिपाठी जी से मिलना बताते हैं। त्रिपाठी जी ने उन्हें दो चुनरी, श्रीफल, सेब और केले और दुर्गा सप्तशती की एक पुस्तक उपहार में दी और ढेर सारा आशीर्वाद दिया यात्रा के लिये।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आज की यात्रा के शिव-तत्व-दर्शन में दूसरी घटना प्रेम सागर त्रिपाठी जी से मिलना बताते हैं। त्रिपाठी जी ने उन्हें दो चुनरी, श्रीफल, सेब और केले और दुर्गा सप्तशती की एक पुस्तक उपहार में दी और ढेर सारा आशीर्वाद दिया यात्रा के लिये।