कल @sabalparanaresh (उनका नाम क्या है, वह स्पष्ट नहीं होता। ट्विटर पर वे छैलछबीलो के नाम से यदाकदा दिखते हैं। उन्होने मेरे उनका परिचय देने के अनुरोध को अनदेखा किया है।) जी ने टिप्पणी में बताया कि सौराष्ट्र का आतिथ्य ऐसा है जो भगवान को भी स्वर्ग भुला दे –
“कोक दी काठियावाड़ मा,
भूलो पड भगवान,
तारा एवा करूँ सम्मान,
स्वर्ग भूलावू शामला।”
आतिथ्य में भगवान को भी अपना घर भूल देना सौराष्ट्र की प्रकृति है। प्रेमसागरजी तो फिर भी मनुष्य ठहरे। 😆
सो वही हुआ है। उमा दारुजोषित की नांई, सबहि नचावत राम गोसाईं – प्रेमसागर यात्रानुशासन भूल कठपुतली की तरह नाच रहे हैं। परसों वे अपनी कांवर यात्रा बीच में छोड़ दिलीप थानकी जी के समूह के साथ पोरबंदर पंहुचे। कहां उन्होने अपनी यात्रा होल्ड पर रखी? यह पूछने पर प्रेमसागर ने बताया – नरवा। वे नाम बताने और याद रखने में बहुत कच्चे हैं। इसलिये मैंने दुबारा भी पूछा। जब नरवा ही बताया तो उस स्थान को यात्रा मार्ग में तलाशने की कोशिश की। ऐसा कोई स्थान नहीं मिला। … आतिथ्य के बाद दिलीप जी वापस उन्हें उसी स्थान पर पंहुचा देंगे और वे अपनी कांवर यात्रा फिर जारी करेंगे। स्थान के नाम वाम से प्रेमसागर को क्या लेना देना। 😆
[दिलीप जी ने बाद में मुझे बताया कि वह स्थान नवी बंदर है। माधवपुर से 29 किमी आगे। उसको स्थानीय लोग नरवा भी कहते हैं।]

कल सवेरे प्रेमसागर का फोन आया था। आशीर्वाद लेने के लिये किया था – जिसकी उन्हें अगले दो तीन दिन तक जरूरत ही नहीं। पिछले दिन वे सत्कार पाये थे दिलीप जी के जीजा जी के घर पर। एक फोटो में वे महराज की तरह तख्त पर विराजमान हैं। आसपास बहुत से लोग हैं। प्रेमसागर का आभामण्डल टपक रहा है। उनके आसपास दिलीप जी के जीजा जी के परिवार के ही नहीं उनके समाज के जानने वाले लोग भी बैठे हैं। लोग बकौल दिलीप थानकी “खुद इस प्रकार की कठिन यात्रा नहीं कर सकते तो आतिथ्य भाव से उसका लाभ लेने का प्रयास कर लेते हैं”। उनका यह भाव नैसर्गिक है। शायद उसी भाव से मैं भी यह ब्लॉग लिखे जा रहा हूं। पर मेरे ख्याल से प्रेमसागर की यात्रानुशासन के लिये यह उचित नहीं – मेरे ख्याल से; और मैं गलत भी हो सकता हूं। मैं अगर कांवर यात्रा कर रहा होता – और वह कदापि सम्भव नहीं लगता – तो अपने को किसी भी समारोह या किसी के ड्राइंग रूम में जाना वर्जित रखता।

आज सवेरे प्रेमसागर का फोन नहीं आया। दिलीप जी से बात हुई और प्रेमसागर की गतिविधि का पता चला। तीन दिन उनके पोरबंदर प्रवास के हैं। कांवर यात्रा उसके बाद ही होगी। अभी तो प्रेमसागर लोगों के भाव और श्रद्धा के सागर में तैरती कठपुतली हैं। खूब आनंद से तैरती कठपुतली। सौराष्ट्र के भाव समुद्र में जब भगवान भी अपना स्वर्ग भूल जाते हैं तो प्रेमसागर को उसका आनंद लेने दिया जाये। भरपूर भाव आनंद! 🙂

वैसे भी, प्रेमसागर को सतत चलते रहने के बाद आराम की जरूरत थी। उन्हें अपना मैडीकल चेक अप भी करा लेना चाहिये और अपने हिमोग्लोबीन स्तर को सुधारना चाहिये। विटामिन और आयरन की कमी अगर है तो वह दूर करनी चाहिये। दिलीप थानकी जी यज्ञ-अनुष्ठान के साथ साथ प्रेम बाबा को इस पक्ष पर ध्यान देने को मना सकें तो वह पूरी यात्रा के लिये बहुत बड़ा सहयोग होगा।
*** द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा पोस्टों की सूची *** प्रेमसागर की पदयात्रा के प्रथम चरण में प्रयाग से अमरकण्टक; द्वितीय चरण में अमरकण्टक से उज्जैन और तृतीय चरण में उज्जैन से सोमनाथ/नागेश्वर की यात्रा है। नागेश्वर तीर्थ की यात्रा के बाद यात्रा विवरण को विराम मिल गया था। पर वह पूर्ण विराम नहीं हुआ। हिमालय/उत्तराखण्ड में गंगोत्री में पुन: जुड़ना हुआ। और, अंत में प्रेमसागर की सुल्तानगंज से बैजनाथ धाम की कांवर यात्रा है। पोस्टों की क्रम बद्ध सूची इस पेज पर दी गयी है। |
प्रेमसागर पाण्डेय द्वारा द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में तय की गयी दूरी (गूगल मैप से निकली दूरी में अनुमानत: 7% जोडा गया है, जो उन्होने यात्रा मार्ग से इतर चला होगा) – |
प्रयाग-वाराणसी-औराई-रीवा-शहडोल-अमरकण्टक-जबलपुर-गाडरवारा-उदयपुरा-बरेली-भोजपुर-भोपाल-आष्टा-देवास-उज्जैन-इंदौर-चोरल-ॐकारेश्वर-बड़वाह-माहेश्वर-अलीराजपुर-छोटा उदयपुर-वडोदरा-बोरसद-धंधुका-वागड़-राणपुर-जसदाण-गोण्डल-जूनागढ़-सोमनाथ-लोयेज-माधवपुर-पोरबंदर-नागेश्वर |
2654 किलोमीटर और यहीं यह ब्लॉग-काउण्टर विराम लेता है। |
प्रेमसागर की कांवरयात्रा का यह भाग – प्रारम्भ से नागेश्वर तक इस ब्लॉग पर है। आगे की यात्रा वे अपने तरीके से कर रहे होंगे। |
🙏
जय महादेव।
मोबाईल नंबर आपको ईमेल में भेजा है। आलस्य के कारण कमेंट सेक्शन रीविजिट नही करने की वजह से अनदेखी हो गयी। 🙏🙏
कठपुतली की डोर जब तक महादेव के हाथ मे हो कोई चिंता नहीं।
सौराष्ट्र की बोली (काठयावाड़ी) में उच्चारण शुद्ध गुजराती से थोड़ा अलग रहता है व लोकल नाम में भी काफी फर्क रहता है।
नरेश साबलपरा
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जय हो! जय हो!
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धन्यवाद नरेश जी!
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Hiren Bhojan ट्विटर पर
हमारा ससुराल है और आतिथ्य का तो पुछो ही मत
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Sudhir Pandey ट्विटर पर
जैसे श्री राम जी ने वानर को हनुमान मे बदला और पूजनीय बना डाला हनुमान के नाम से ।वैसे ही चमत्कार किया प्रेम सागर जी के लिए कृपा निधान श्री GD Pandey जी ने।जय हो भक्त और भगवान की
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बदनाम शायर ट्विटर पर
एक अलग सी भावना अब दिखने लगी है आपके शब्दो मे प्रेमसागर जी के प्रति। आप के शब्दों का फ्रेम थोड़ा चरमराया सा लगता है, छवि फ्रेम से बाहर जाती दिख रही।
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अंजनी कुमार सिंह ट्विटर पर
आतिथ्य अगर इतनी ही विह्वलता से मिल रही है तो उनका भी प्रयास भागीरथ तुल्य ही है ।आखिर उसके हकदार भी वही है ।हमलोग तो उनके यशोगान करने वाले ही है जो घर बैठे अपने मोबाइल के कीबोर्ड पर अपना करतब दिखा रहे महादेव उनकी कांवर यात्रा पूर्ण करें हम सब यही कामना करेंगे
#हर__हर_महादेव
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दिनेश कुमार शुक्ल जी फेसबुक पेज पर
Pilgrims progress.
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पथिक पटेल फेसबुक पेज पर
नाम नरेश साबलपरा होगा
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सही है पथिक जी
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