आपको इन टाइमलाइन टुकड़ों से अंदाज हो जायेगा कि राजकुमार हम जैसे मनई हैं। स्नॉब नहीं हैं। शिकागो में भी माधोसिन्ह/औराई जिंदा रखे हैं और हिंदी पर अच्छी खासी पकड़ भी है उनकी।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
आपको इन टाइमलाइन टुकड़ों से अंदाज हो जायेगा कि राजकुमार हम जैसे मनई हैं। स्नॉब नहीं हैं। शिकागो में भी माधोसिन्ह/औराई जिंदा रखे हैं और हिंदी पर अच्छी खासी पकड़ भी है उनकी।