“ज्यादा नहीं पचास-एक लगेगा। और बीस-एक मिनट इंतजार करना होगा।” – जोखन ने कहा और मेरे हामी भरने पर अपनी लुंगी फोल्ड कर घुटने के ऊपर की और काम में लग गया।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
“ज्यादा नहीं पचास-एक लगेगा। और बीस-एक मिनट इंतजार करना होगा।” – जोखन ने कहा और मेरे हामी भरने पर अपनी लुंगी फोल्ड कर घुटने के ऊपर की और काम में लग गया।