मॉर्निग पोजीशन ने रेल परिचालन की जिंदगी व्यवस्थित की थी। उसने आंकड़ों के पिजन-होल्स बनाये थे मस्तिष्क में। अब जिंदगी अलग प्रकार से चल रही है। पर मेण्टल पिजन होल्स बनाने/अपडेट करने की जरूरत मुझे महसूस हुई सवेरे उठते समय।
भारतीय रेल का पूर्व विभागाध्यक्ष, अब साइकिल से चलता गाँव का निवासी। गंगा किनारे रहते हुए जीवन को नये नज़रिये से देखता हूँ। सत्तर की उम्र में भी सीखने और साझा करने की यात्रा जारी है।
मॉर्निग पोजीशन ने रेल परिचालन की जिंदगी व्यवस्थित की थी। उसने आंकड़ों के पिजन-होल्स बनाये थे मस्तिष्क में। अब जिंदगी अलग प्रकार से चल रही है। पर मेण्टल पिजन होल्स बनाने/अपडेट करने की जरूरत मुझे महसूस हुई सवेरे उठते समय।