फरवरी 5, 2023 रात्रि –
प्रयाग से माघ मेला क्षेत्र में रुकने के बाद प्रेमसागर आज शाम मेरे घर आये। आज उन्होने माघी पूर्णिमा स्नान किया संगम पर। उसके बाद निकलते निकलते भी शाम चार बज गये। साढ़े छ बजे वे गोपीगंज पास हो रहे थे। आठ बजे मेरे घर पंहुचे।
प्रेमसागर वे सज्जन हैं जिन्होने द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर पदयात्रा सम्पन्न की है। उनके साथ करीब तीन हजार किलोमीटर की डिजिटल यात्रा मेरे ब्लॉग ने भी की है। ब्लॉग पर 100 पोस्टें उस यात्रा की हैं।

शाम के भोजन के समय प्रेमसागर ने बताया कि वे सभी शक्तिपीठों की पदयात्रा करने की सोच रहे हैं। उनका सोचना एक संकल्प सरीखा होता है। इन इक्यावन शक्ति पीठों में कई अन्य देशों में हैं – पाकिस्तान, नेपाल, बांगला देश और श्रीलंका में। मैंने उन्हें सुझाया कि आदिशंकराचार्य ने अठारह शक्तिपीठों की यात्रा की थी भारत में धर्म की पुन: स्थापना/विजय के दौरान। उनको उन्होने महाशक्तिपीठ कहा। उसपर उनका एक स्त्रोत भी है। अच्छा हो कि प्रेमसागर आदिशंकर के उन महाशक्तिपीठोंं की पद यात्रा करें और उस यात्रा के दौरान सहूलियत से आसपास के अन्य शक्तिपीठों की भी यात्रा सम्पन्न करें। यह विचार प्रेमसागर को रुचा प्रतीत होता है।

प्रेमसागर ने अन्य लोगों से भी चर्चा की है। वे प्रयाग के गुरूजी (गुड्डू मिश्र, भाई जी का दाल भात परिवार वाले और उनके गुरु के गुरु अवधूत भगवान राम जी) का नाम ले रहे थे, जिनसे वे माघ मेला क्षेत्र में मिल आये हैं। गुड्डू मिश्र नैनी में रहते हैं और प्रयाग में लेटे हनुमानजी के समीप दाल-भात का भण्डारा करते हैं।
प्रेमसागर के अनुसार शाक्त पीठों की यात्रा के अपने नियम हैं। उनमें कांवर ले कर चलने की आवश्यकता नहीं है पर पदयात्री को सिर और दाढ़ी मुंड़ा कर यात्रा करनी होती है। जहां तक हो रक्तवर्ण कपड़े पहनने होते हैं। लाल चंदन, रोली का तिलक लगाते हैं और किसी न किसी मंत्र का जाप करते चलते हैं पदयात्री।
उनका विचार आगामी चैत्र मास में नवरात्रि के दौरान यात्रा प्रारम्भ करने का है।
पिछली द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा में वे अकेले निकले थे और उनके पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं था। महादेव लोगों को जोड़ते गये और यात्रा का संकल्प सम्पन्न हुआ। इस बार वे ज्यादा पुख्ता जमीन पर हैं। वे डेढ़ दो सौ लोगों के सघन जुड़ाव रखते हैं जो उन्हें इस पदयात्रा में सहायता कर सकते हैं। वे लोग अगर सक्षम नहीं भी होंगे तो अन्य लोगों को जानते होंगे जिनसे माँ जगदम्बा सहयोग करा लेंगी। … जितनी बात हुई, उससे लगा कि प्रेमसागर यात्रा की ज्यादा प्लानिंग के फेर में नहींं हैं। एक दिन यात्रा शुरू कर देंगे और बस वह होती चली जायेगी।
अढ़तालीस साल का यह व्यक्ति मुझे हमेशा अजीब लगता है। अजीब और धुन का पक्का। भगवान महादेव के गोल में ऐसे ही अजीब लोग होते हैं। मैंने प्रेमसागर से ज्यादा किंतु-परंतु वाली बात नहीं की। उसका कोई फायदा नहीं।

अभी प्रेमसागर ने भोजन किया है। हमारे घर पर तो बहुत ही सादा भोजन था। दाल, रोटी, चावल और सब्जी; बस। घर की ऊपर की मंजिल पर कमरे में प्रेमसागर सोने गये हैं। कल उन्हें रींवा जाना है। वहां वे एक गौशाला स्थापित करने जा रहे हैं।
खैर, मुझे उनका शक्तिपीठ पदयात्रा वाली बात ज्यादा रुच रही है। हो सकता है उस यात्रा में कुछ दूर तक मेरा भी जुड़ाव हो, डिजिटल माध्यम से। कितना और कैसे होगा, वह तो भगवान महादेव और माता जगदम्बा ही जानें।
फरवरी 6, 2023 सवेरे –
प्रेमसागर को सवेरे चाय बना कर उनके कमरे में देने गया। पश्चिम में चांद क्षितिज पर थे। कोहरा था पर जमीन से सटा। आसमान साफ था सो चांद दिख रहे थे। सूरज उगने को ही थे तो उषाकाल की रोशनी भी थी। मोहक दृश्य था। अगर प्रेमसागर को चाय देने न निकलना होता तो यह नहीं देख पाता।

सवेरे साढ़े आठ बजे नाश्ता करा कर प्रेमसागर को रवाना किया। मेरा वाहन चालक उन्हें औराई तक छोड़ने गया। वहां से ऑटो पकड़ कर उन्हे गोपीगंज जाना है और गोपीगंज से रींवा। अब, अगर उनकी शक्तिपीठों की यात्रा होती है तो चैत्र मास के नवरात्रि में 22-23 मार्च को सम्भवत: उनसे मिलना हो।
मेरी पत्नीजी ने प्रेमसागर को विदाई की भेंट दी। मैं गले मिला। … अच्छा लगा प्रेमसागर का आना।

हर हर महादेव!
आदिशंकर विरचित अष्टादश महाशक्तिपीठ स्तोत्र (विकिपेडिया से)
लङ्कायां शङ्करीदेवी कामाक्षी काञ्चिकापुरे ।
प्रद्युम्ने शृङ्खलादेवी चामुण्डी क्रौञ्चपट्टणे ॥ १ ॥
अलम्पुरे जोगुलाम्बा श्रीशैले भ्रमराम्बिका ।
कोल्हापुरे महालक्ष्मी मुहुर्ये एकवीरिका ॥ २ ॥
उज्जयिन्यां महाकाली पीठिकायां पुरुहूतिका ।
ओढ्यायां गिरिजादेवी माणिक्या दक्षवाटिके ॥ ३ ॥
हरिक्षेत्रे कामरूपी प्रयागे माधवेश्वरी ।
ज्वालायां वैष्णवीदेवी गया माङ्गल्यगौरिका ॥ ४ ॥
वारणाश्यां विशालाक्षी काश्मीरेतु सरस्वती ।
अष्टादश सुपीठानि योगिनामपि दुर्लभम् ॥ ५ ॥
सायङ्काले पठेन्नित्यं सर्वशत्रुविनाशनम् । सर्वरोगहरं दिव्यं सर्वसम्पत्करं शुभम् ॥ ६ ॥
That is great..
LikeLike