29 मार्च 2023
हंसेश्वरी माता के 1799 में बने मंदिर का दर्शन करने के बाद रात में गंगा/हुगली पार कर प्रेमसागर किसी युवराज होटल में रुके। हजार रुपया किराया, जो उन्हें बहुत अखरा। रात में नींद भी, शायद दिन के घटनाक्रम से प्रभावित उतनी गहरी नहीं आयी। आज शायद आलस्य रहा होगा, सो सवेरे जल्दी निकलना नहीं हुआ।
आज उन्हें दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पास श्री रमाशंकर पाण्डेय जी के घर जाना था। नक्शे के हिसाब से 38किमी की दूरी। प्रेमसागर ने कहा कि वे शॉर्टकट से चले। उनका शॉर्टकट शायद होता नहीं है। उनके मन को ढाढस बंधता है कि उन्होने कोई छोटा रास्ता खोज लिया।
“आज रास्ता कोई खास नहीं था, भईया। गंगाजी दो तीन बार पार करनी पड़ी। उनके बगल बगल से ही चलना था। … भईया यह इलाका उतना सम्पन्न नहीं लगता। मुझे डिजिटल पेमेण्ट लेने वाली दुकाने बहुत कम नजर आयीं। इससे ज्यादा यूपी बिहार में दिखती हैं। वहां हर दुकान पर स्कैन कर पेमेण्ट लेने की सुविधा है।” – प्रेमसागर ने सम्पन्नता को डिजिटल पेमेण्ट एप्प से जोड़ लिया है। पर मुझे भी समझ नहीं आया कि कलकत्ता के पास इस तरह की दशा क्यों है?

प्रेमसागर ने कहा कि दिन भर वे चलते ही रहे और शाम जल्दी ही रमाशंकर जी के घर आ गये।
रमाशंकर जी मेरे गांव विक्रमपुर के ही रहने वाले हैं। कलकत्ता में बहुत अर्से से वे रह रहे हैं। जमीन से जुड़े और उठे व्यक्ति हैं, इसलिये मेहनत करने की वृत्ति और व्यवहार में विनम्रता – दोनो उनमें भरपूर है। जिंदगी भर व्यवसाय करने में वे पर्याप्त सफल रहे हैं। गांवदेहात की जानकारी लेने के लिये वे मेरा ब्लॉग पढ़ते हैं। उसी से उन्हें पता चला कि प्रेमसागर कलकत्ता आयेंगे। मुझे दो सप्ताह पहले उन्होने कहा था कि कलकत्ता में प्रेमसागर उनके यहां रुक सकते हैं। वे प्रेमसागर की हर सम्भव सहायता करेंगे। रुकने को जगह और हर सम्भव सहायता – यही तो प्रेमसागर को चाहिये!
रमाशंकर जी मेरी उम्र के हैं। शायद मुझसे कुछ साल बड़े भी हों। मुझे तो फिर भी अवलम्ब था कि मेरे पिताजी सरकारी नौकरी में ओवरसीयर थे; रमाशंकर जी तो जमीन से उठ कर कलकत्ता जैसे जगह में स्वयम को स्थापित-सम्पन्न किये हैं।
मैंने अपनी तरफ से प्रेमसागर को कह दिया कि रमाशंकर जी को वैसा ही समझें, जैसा मुझे समझते हैं। अगर वे मुझे बड़े भाई का आदर देते हैं तो रमाशंकर जी को भी वही या उससे अधिक आदर दें। “भईया, मैं समझता हूं। आप जिनके बारे में आदर से बात करते हैं तो वे मेरे लिये भी आपके जैसे ही हैं। मेरे व्यवहार में कोई कमी-गलती नहीं होगी।” – प्रेमसागर ने कहा था।

आज शाम दोनो ने फोन पर मुझसे बात की। दोनो का एक स्थान पर होना अच्छा लगा मुझे। रमाशंकर जी ने अपने घर में अलग से एक कमरा प्रेमसागर को दे दिया है। सभी सुविधा है। कल प्रेमसागर भीड़ द्वारा भगाये जा रहे थे, आज रमाशंकर जी ने सम्पूर्ण स्नेह उंडेल कर उनका स्वागत किया है! महादेव और माता की माया वे ही जान सकते हैं।
कल प्रेमसागर काली मंदिर, कालीघाट आदि स्थानों के दर्शन करेंगे। परसों कलकत्ता के समीपवर्ती शक्तिपीठों की पदयात्रा पर निकलेंगे।
हर हर महादेव। ॐ मात्रे नम:।
प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
दिन – 83 कुल किलोमीटर – 2760 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे। |

One thought on “रमाशंकर जी के घर, दक्षिणेश्वर काली मंदिर के समीप”