दो दिन घूमते हो गये कलकत्ता में प्रेमसागर को। पहले दिन उन्होने दक्षिणेश्वर काली मंदिर, बेलूर मठ और आद्या शक्ति धाम देखा। कभी पुल से और कभी फेरी से गंगाजी पार कीं। उनके भेजे चित्र कलकत्ता की सांस्कृतिक झांकी प्रस्तुत करते हैं।
30मार्च 23
सवेरे सात बजे प्रेमसागर का फोन – “दक्षिणेश्वर मंदिर का सीन बहुत बदल गया है भईया। मैं तो पंद्रह-सत्रह साल पहले आया था। तब तो मंदिर गंगा तट के बगल में था। अब तो बहुत अच्छा बन गया है। जैसे बनारस में काशी विश्वनाथ जी के एरिया का विकास हुआ है, वैसा ही इस तरफ है। … माता के मंदिर में चार साइड छोटे छोटे मंदिर हैं शंकर जी के।”





दक्षिणेश्वर मंदिर
दक्षिणेश्वर मंदिर से आठ बजे तक वे बेलूर मठ गये। गंगा पार कर। उस समय लॉन्च नहीं चल रही थीं तो पुल से ही पार कर गये गंगाजी। “भईया वहां विवेकानंद जी का आश्रम है। तपस्या या जो भी ओ करते थे, वहीं है। वहां ब्रह्मकमल नाम का फूल दिखा। बाकी फोटो लेने की मनाही थी, नहीं तो ज्यादा फोटो खींचता।”




बेलूर मठ
बेलूर मठ से आद्या शक्ति धाम। प्रेमसागर लॉन्च से पुन: गंगाजी पार किये। “बड़ा अजीब रहा भईया। हम टिकट की लाइन में लगे थे। इग्यारह रुपये का टिकट था, मेरे पास पचास का नोट था। पर काउण्टर पर आदमी ने बताया कि उनके पास खुल्ला नहीं है। उन्होने कहा कि मैं लॉन्च में उस पार चला जाऊं और वहां टिकट खरीद लूं। दूसरी पार आने पर टिकट चेक करने वाले गार्ड साहब ने बताया कि उन्हें मेरे बारे में खबर मिल गयी है और मैं टिकट काउण्टर पर टिकट ले सकता हूं। पर भईया इस पार के काउण्टर पर भी खुल्ला नहीं था। काउण्टर वाले सज्जन ने मुझे वैसे ही जाने दिया।”




लॉन्च से यात्रा
प्रेमसागर की आस्था गजब की है। सुदृढ़। वे टिकट वाली इस घटना को महादेव और माई से जोड़ कर देखते हैं। … काश मेरी आस्था में वह गहराई या दृढ़ता होती!
वहां प्रेमसागर से मीडिया वाले मिले। अपने टीवी चैनल के लिये पांच सात मिनट की बाइट लिये। उन्होने पूछा कि रास्ते में क्या अनुभव थे। कोई तकलीफ, कोई घटना? “भईया मैंने शृन्खला पीठ वाली घटना का जिक्र ही नहीं किया। मैं कोई वाद विवाद नहीं चाहता। मैंने कहा – जब महादेव और माई साथ हों, तो क्या दिक्कत-तकलीफ? मैंने यह कह कर बात खत्म कर दी।”



आद्या शक्तिपीठ
वे कुछ समय रमाशंकर जी की दुकान पर जा कर भी आये। “भईया, जमीन से उठे हैं वे और इस समय इस जगह पर जो कुछ बनाया है अपने और अपने परिवार के लिये, वैसा कम ही लोग कर पाते होंगे।”
रमाशंकर जी के घर की छत पर बहुत से पौधे लगे हैं। “बहुत सुंदर लगता है भईया वहां। एक ठो वीडियो भेजा है, आप देखियेगा। हवा में पौधे और फूल कितना झूम रहे हैं।” – प्रेमसागर चित्र ठीकठाक खींच लेते हैं पर वीडियो बनाने में महारत नहीं है। फिर भी, उत्तरोत्तर उनमें डिजिटल निखार आ ही रहा है।
प्रेमसागर का मोबाइल खराब हो गया था। बार बार हैंग कर जाता था। मौका पा कर रमाशंकर पाण्डेय जी को अपनी समस्या बताई। मोबाइल की दुकान वाले ने मोबाइल ठीक तो कर दिया पर यह कहा – “ये तो बड़े हाई टेक बाबा हैं। इतने सब के लिये स्मार्टफोन का प्रयोग कर लेते हैं। किसी साधू को तो ऐसा करते नहीं देखा!”
रमाशंकर जी ने ओप्पो का नया मोबाइल उपहार में दे दिया खरीद कर। मगन हैं प्रेमसागर। गुंताड़ा लगाने में व्यस्त हो गये। “नया मोबाइल ज्यादा बड़े साइज की फोटो खींचता है भईया। पुराने मोबाइल से फलां फलां काम लूंगा और नये वाले से फलां फलां।” बच्चे को नया खिलौना मिलता है तो उसकी जैसी प्रतिक्रिया होती है, बहुत कुछ वैसी ही! मैं प्रेमसागर को सलाह देता हूं कि नये मोबाइल में गूगल फिट भी इंस्टॉल कर लें। उनका काम ही पैदल चलने का है। वह एप्प यह बतायेगा कि कितना कदम चले दिन भर में। कदमों की जानकारी पढ़ने वालों को रोचक लगेगी।
“भईया मोटामोटी एक किलोमीटर में 1760 कदम चलता हूं मैं। पर कुल कदम नापता तो चलता नहीं। यह एप्प बतायेगा!” प्रेमसागर ने कहा। मुझे लगता है कि उन्होने कदम ज्यादा बताये हैं। उनकी लम्बाई मुझसे ज्यादा है और टांगें भी लम्बी होंगी। कदम छोटे नहीं होंगे। खैर, आगे आंकड़े देंगे तो पता चलेगा।
31 मार्च 23
दूसरे दिन, 31 मार्च को, प्रेमसागर सवेरे सवेरे निकले, पैदल कालीघाट के लिये। छ बजे मुझे फोन किया तो वे रास्ते चल रहे थे। सड़क सुनसान थी। कुछ जगह उनका वेश देख कर कुकुर जरूर भूंक रहे थे।
वह शक्तिपीठ मान्यता का स्थल है। सड़कों पर ट्रामवे अब भी बना है। उन्हें समझ नहीं आता – “भईया यहां सड़क के बीचोंबीच रेल लाइन है। पता नहीं रेल कैसे चलती होगी!”






काली घाट
मैं उन्हें बताता हूं कि ट्रॉम क्या होता है और यह भी कहता हूं कि वे पता करें कि मेट्रो आने के बाद अब ट्रॉम चलती भी हैं या नहीं।
सवेरे पौने नौ बजे तक वे कालीघाट शक्तिपीठ दर्शन कर चुके थे। “यहां के भैरव नकुलेश्वर हैं भईया। फोटो मैंने भेज दिये हैं।

इन सभी स्थानों के बारे में इण्टरनेट पर भरपूर सामग्री उपलब्ध है। मुझे प्रेमसागर के भेजे चित्रों को लगाने के सिवाय अधिक विवरण नहीं देना है। 🙂
दिन में मैं उन्हें और रमाशंकर जी को उनकी आगे कलकत्ता के आसपास के शक्तिपीठों की यात्रा के बारे में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताता हूं। ह्वाइटबोर्ड पर एक नक्शा बनाते हुये। कलकत्ता से उन्हें हावड़ा जिले के भ्रामरीदेवी, हुगली जिले के रत्नावली और पूर्व मिदनापुर जिले के कपालिनी और विभाष शक्तिपीठों के दर्शन करने हैं। वे यहां कैसे जायेंगे और रात में कैसे कहां रुकेंगे, वे आपस में बात करेंगे।



रमाशंकर पाण्डेय जी की दुकान पर
कल सवेरे प्रेमसागर अपना अधिकांश सामान रमाशंकर जी के घर पर ही छोड़ कर निकलेंगे इस यात्रा पर। साथ में सामान कम होगा तो स्पीड भी ज्यादा होगी और दूरी भी ज्यादा तय कर पायेंगे एक दिन में।
आगे की यात्रा के विवरण जैसा होगा, वैसे करूंगा।
हर हर महादेव। ॐ मात्रे नम:।
प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें। ***** प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi |
दिन – 83 कुल किलोमीटर – 2760 मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। सरिस्का के किनारे। |
