बंग से अंग की ओर लौटना

06 अप्रेल 2023

हावड़ा, हुगली, मिदनापुर, बर्दवान और बीरभूम के शक्तिपीठ दर्शन सम्पन्न हो गये। अब प्रेमसागर को कामाख्या, कामरूप की ओर चलना है। सबसे छोटा रास्ता नलहाटी से मालदा के रास्ते फुलबारी-जलपाईगुड़ी होते है। कुल 690 किमी के आसपास। इस रास्ते में बंगाल का वह इलाका पड़ता है जो बांगलादेश से सटा है।

दूसरा विकल्प है कि प्रेमसागर वापस झारखण्ड के देवघर या बासुकीनाथ लौट कर वहां से भागलपुर, पूर्णिया, किशनगंजकिशनगंज के रास्ते फुलबारी पंहुचें। यह रास्ता 725 किमी का है। बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। पर इस रास्ते में वे बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाके टाल सकेंगे। पंडुआ में श्रृन्खला शक्तिपीठ स्थल पर डेढ़ सौ की उस भीड़ को भुला पाना कठिन है जो अकेले प्रेमसागर को आतंकित करने का प्रयास कर रही थी। और धमका रही थी – हम दीदी से बात करेंगे। इसके अलावा बंगाल के रामनवमी के समय हुये (निरर्थक) दंगे परेशान करने वाले हैं। मैंने प्रेमसागर को अंत समय सुझाव दिया कि वे देवघर लौट चलें और आगे की यात्रा वहां से करें।

यह सुझाव प्रेमसागर को भी रुचा और कलकत्ता में उनके मेजबान रमाशंकर जी को भी। वे भी नहीं चाहते थे कि दंगाई माहौल में तनिक सा भी जोखिम लिया जाये। “असल में ये चलते भी तो गेरुआ पहन कर हैं। दूर से ही इनकी धार्मिक पहचान पता चलती है।” – रमाशंकर जी ने मुझे कहा।

“भईया जब देवघर से भागलपुर जाना है तो उससे अच्छा मैं सुल्तानगंज से भागलपुर निकल लूं। सुल्तानगंज की पदयात्रा तो कर ही ली है। वहां से भागलपुर और भी नजदीक है।” – प्रेमसागर ने एक और विकल्प सुझाया। सुल्तानगंज-भागलपुर-पूर्णिया के रास्ते कामाख्या की दूरी 648 किमी बनती है। यह नलहाटी से भी कम दूरी का विकल्प है। सबसे बेहतर विकल्प। और इस रास्ते बंगाल के ग्रामीण इलाकों में भाषाई समस्या पेश नहीं आयेगी। हिंदी-भोजपुरी-मगही-मैथिली/अंगिका के कामचलाऊ जोड़-तोड़ से प्रेमसागर का सम्प्रेषण बखूबी हो सकेगा।

अपने ही देश में, शाक्त श्रद्धा के बंग प्रांत में लाल रंग के वस्त्र पहने पदयात्री जोखिम महसूस करे; दुखद है! पर राजनीति धर्म पर भारी है! प्रेमसागर ने नलहाटी जा पदयात्रा करने की बजाय सुल्तानगंज आ कर वहां से यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया।

मुंगेर-सुल्तानगंज-भागलपुर-पूर्णिया आदिकालीन अंग प्रदेश है। कथा सरित्सागर के अनुसार अंग का प्रभाव बंग और वितांकपुर (?) के समुद्र तट तक था। वह इलाका जिसकी राजधानी चम्पा या चम्पानगर थी। महाभारत के समय दुर्योधन ने कर्ण को अंग का राजा बना कर अपना मित्र बना लिया था।

बिहार का वर्तमान चाहे जैसा भी हो, प्रेमसागर की यात्रा बंग से अंग में री-पोजीशन होने पर मेरे मन में वह इलाका घूमने लगा है। नेट पर कई पुस्तकों के अंश छाने हैं मैंने। पर अंतत: प्रेमसागर के भागलपुर-पूर्णिया ट्रेवलॉग में क्या आयेगा, वह समय ही बतायेगा।

पर बंग से अंग का लौटना ठीक लगता है।

कल रात प्रेमसागर कलकत्ता से बस से रवाना हुये। बस से जमुआ और फिर दो बसें बदल कर देवघर और सुल्तानगंज। देवघर और सुल्तानगंज उनका अपना ‘इलाका’ है। यहां वे सोमारी बाबा और दण्ड बाबा के नाम से जाने जाते हैं। सोमवार को बैजनाथधाम में जल चढ़ाने वाले और तीन बार लेट लेट कर कांवर यात्रा करने वाले।

कल सोमारी बाबा सुल्तानगंज से भागलपुर के लिये निकलेंगे! पैदल।

जुलाई 2022 में सुल्तानगंज में गंगा किनारे प्रेमसागर

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

आपकी टिप्पणी के लिये खांचा:

Discover more from मानसिक हलचल

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Design a site like this with WordPress.com
Get started