जोगीघोपा से गुवाहाटी – निम्न रक्तचाप के संकट में प्रेमसागर

28 अप्रेल 2023

कल परिस्थितियों ने इंगित किया था कि वे मंदिर के ओसारे में, बिना किसी बिछौना-ओढ़ना के रात गुजारें। प्रेमसागर ने जब अपनी पदयात्रायें प्रारम्भ की थीं, तो ऐसे ही संकल्प के साथ की थीं – कभी पीपल के पेड़ के नीचे या कभी मंदिर के फर्श पर रुकना पड़े तो वे ऐसा कर के यात्रा करेंगे। कामाख्या माई ने शायद वही करने को इशारा किया था। पर प्रेमसागर की आदत वैसी यात्रा की बची नहीं। वे वैसा कर नहीं सके।

लोग साधनों से और आर्थिक रूप से भी सहायता कर रहे हैं। यह लोगों की उदात्तता और बड़प्पन है। पर उन सब की सहायता ने प्रेमसागर को रुक्ष यात्रा के अयोग्य बना दिया है।

झटका उन सज्जन ने दिया जो उन्हें मंदिरपरिसर में रुकने को कह कर निकल लिये और फिर उन्होने खोज खबर नहीं ली। झटका उन फलानी महिला जी ने भी दिया जो उन्हें बीच बीच में कामाख्या दर्शन के इंतजाम का भरोसा देती रहीं और अंत में उन्होने सम्पर्क ही नहीं किया।

मैंने प्रेमसागर को कहा कि उन्हें लोगों को समझना चाहिये। लोग एक सीमा से आगे जा कर अच्छे नहीं होते।

लगता नहीं कि प्रेमसागर को समझ आयेगा। पदयात्रा सतत नहीं चल सकती। बीच में आदमी को पॉज ले कर अपना जो भी काम हो – अध्ययन का, श्रम का, नौकरी का, व्यवसाय प्रबंधन का – करना होता है। अध्ययन/व्यवसाय/श्रम/नौकरी से वैराज्ञ ले कर मात्र लोगों की सहायता के बल पर जीवन नहीं जिया जा सकता। वे जो भी कार्य करें, उससे समय बचा कर पदयात्रा करें। पदयात्रा में साधन हीनता की दशा के लिये तैयार रहें।

संत या वैरागी भी समाज को देता अधिक है, लेता कम है – यही विधान है। प्रेमसागर को उस कसौटी पर अपने को कसना चाहिये।

ब्रह्मपुत्र 1
ब्रह्मपुत्र 2

सवेरे भोर में ही प्रेमसागर जोगीघोपा के लॉज से निकल कर ब्रह्मपुत्र के किनारे पंहुचे। पर वहां उगते सूरज को देखने का योग नहीं था। क्षितिज पर बादल थे और सूरज उनके पीछे छिपे थे। फिर भी नद का विशाल पाट मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।

किनारे पर ही एक बड़ा प्लेटफार्म सा बन रहा है। जोगीघोपा बांगलादेश और भूटान से वस्तु विनिमय के लिये एक बड़ा मल्टीमोडल लॉजिस्टिक टर्मिनल बनने जा रहा है। यह खबर दो तीन साल से पढ़ने में आ रही है। इस परियोजना के लिये पर्याप्त फण्ड भी रखे गये हैं। प्रेमसागर अगर ज्यादा दिन वहां गुजारते तो मैं इस निर्माण कार्य के समीप जा कर जानकारी लेने के लिये उन्हें कहता। पर यात्रा तो त्वरित गति से हो रही है। एक रात में मात्र छ-सात घण्टे का ही विराम हो रहा है किसी स्थान पर!

जोगीघोपा बांगलादेश और भूटान से वस्तु विनिमय के लिये एक बड़ा मल्टीमोडल लॉजिस्टिक टर्मिनल बन रहा है।

ब्रह्मपुत्र का पुल डबल लेन का है। चार किमी लम्बा। पुल पर से गुजरने के पहले सुरक्षाकर्मी उनका प्रयोजन पूछते हैं। प्रेमसागर ने बताया कि वे इक्यावन शक्तिपीठों की पदयात्रा पर हैं। सुन कर शायद उन कर्मियोंं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा होगा। उन्होने प्रेमसागर को उनका फोटो लेने दिया।

पुल पार करने के बाद दस बारह किमी चले प्रेमसागर। उसके आगे जंगल पड़ता है। उन्हें लोगों ने सलाह दी कि अकेले पैदल न जायें। बस से आगे बढ़ें। हाथी कभी कभी अगर गुस्सा हो गये तो तहस नहस कर देते हैं। प्रेमसागर ने बस पकड़ी और जहां वे बस से उतरे, वह जगह जोगीघोपा से इकतीस-बत्तीस किमी दूर कृष्णाई थी।

वहां से उनका मुझे फोन आया – “भईया, तबियत ठीक नहीं लग रही। चक्कर आ रहा है।” मैंने उन्हें सलाह दी कि जंगल के छोर पर कुछ और करने की बजाय कोई बस पकड़ें और चलते चले जायें। अगर बस गुवाहाटी तक भी ले जाती है तो वहां जा कर निदान खोजें।

प्रेमसागर ने सलाह पर अमल किया। वे बस से कामाख्या मंदिर से तीन चार किमी दूरी पर उतरे। रुकने का एक ठिकाना खोजा और जा कर डाक्टर से मिले। डाक्टर ने चेक अप कर बताया कि उनका रक्तचाप 110/60 है। सारी शिथिलता का मूल वह निम्न रक्तचाप है। तुरंत सेलाइन वाटर का इंफ्यूजन करना होगा।

प्रेमसागर ने डाक्टर साहब से मेरी बात कराई। इस अंदाज में कि मैं उनका दूरस्थ गार्जियन हूं। मैंने डाक्टर साहब को यथोचित करने को कहा। निम्न रक्तचाप की दशा में आठ सौ किमी दूर मैं और कोई बेहतर उपाय तो बता नहीं सकता था!

डाक्टर साहब ने प्रेमसागर का इलाज किया।

सेलाइन पानी चढ़ाने और बताई गयी दवाई लेने के बाद प्रेमसागर की स्थिति में सुधार हुआ। शाम तक वे चैतन्य थे। जब उनसे पूछा तो यही सामने आया कि तीन दिन से उन्होने नारियल या नींबू-चीनी-नमक-पानी नहीं लिया था। ओआरएच या ग्लूकोज जैसा कुछ उनके पास नहीं था। भोजन भी अनियमित सा था और चलना भी 60किमी के आसपास नित्य हो रहा था। अपने शरीर की जरूरतों को अनदेखा कर वे चलने में स्वर्णपदक लेना चाहते थे! :sad:

“भईया, जब जंगल पार कर बस से उतरा तो मुझे चक्कर आ गया। सहारे से मैं डिवाइडर पर बैठा और हाथ से इशारा कर एक दुकान वाले को पानी लाने का अनुरोध किया। पानी पी कर अपने पर छींटे मारे और तब आप से बात की। आगे चला नहीं जा रहा था। फिर दुकानदार और अन्य लोगों ने ही आती हुई एक बस पर मुझे बिठाया।”

शाम के समय मैंने उनसे फिर पूछा – गुवाहाटी के किसी खैरख्वाह ने उनका हाल खबर लिया? प्रेमसागर ने बताया – “नहीं भईया, किसी ने नहीं पूछा। किसी ने फोन नहींं किया। डाक्टर साहब के यहां से आ कर मैं सो गया। पर मोबाइल में कोई मिस-कॉल भी नहीं है। अब कल सवेरे कामाख्या दर्शन करूंगा और उसके बाद ट्रेन पकड़ कर जलपाईगुड़ी के लिये रवाना हो जाऊंगा। यहीं पास के लोकल स्टेशन से मिल जायेगी ट्रेन। वह हर स्टेशन पर रुकने वाली पेसेंजर होगी, शायद।”

कल देखते हैं; कैसे होते हैं कामाख्या दर्शन। और कैसे पकड़ते हैं वापसी की ट्रेन प्रेमसागर!

हर हर महादेव। ॐ मात्रे नम:।

जोगीघोपा का एक दृश्य
प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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