साइलेंसर रिपेयर का जुगाड़

बाबूसराय के मार्केट में सवेरे का समय। मैं साइकिल सैर करता निकल रहा था। ज्यादातर दुकानें बंद थीं। एक दुकान के बाहर एक सज्जन कुछ जलाते दिखे। धुआं निकल रहा था।

कस्बाई मार्केट में दुकानदार सवेरे अपनी दुकान और उसके आगे झाड़ू लगा कर कूड़ा सामने ही जला देते हैं। मुझे लगा वैसा ही कुछ कर रहे होंगे वे सज्जन।

कस्बाई मार्केट में दुकानदार सवेरे अपनी दुकान और उसके आगे झाड़ू लगा कर कूड़ा सामने ही जला देते हैं। मुझे लगा वैसा ही कुछ कर रहे होंगे वे सज्जन।

पर पास जा कर देखा तो वैसा था नहीं। करीब दो दर्जन उपलों के बीच कोई मशीन का मैटल पार्ट जो बेलनाकार था, रख कर उपले जला गर्म कर रहे थे। उनसे पूछा तो बताया कि वह सामने खड़ी मोटर साइकिल का साइलेंसर है। पूरी तरह जाम हो गया है।

गर्म करने पर जाम किया गाढ़ा कचरा निकल जायेगा और साइलेंसर ठीक हो जायेगा।

मुझे रोचक लगा यह जुगाड़। पूछा – अच्छा है यह तरीका। पर जहां उपले नहीं होते वहां कैसे गर्म किया जाता है?

“ऐसा कोई नहीं करता। साइलेंसर करीब ढाई हजार का आता है। अगर जाम हो जाये तो ढाई हजार में नया लगता है।”

करीब दो दर्जन उपलों के बीच कोई मशीन का मैटल पार्ट जो बेलनाकार था, रख कर उपले जला गर्म कर रहे थे।

वैसे इसमें भी झंझट है। सौ दो सौ के तो उपले ही लग जायेंगे। बाकी सफाई और फिटिंग का खर्चा… – मैंने अपनी शंका व्यक्त की।

“नहीं, उपले मोटर साइकिल वाले ने दिये हैं। उसके घर के हैं। ज्यादा खर्चा नहीं होगा। थोड़े में ही नये जैसा हो जायेगा साइलेंसर।” – उन्होने मेरी शंका का निवारण किया। यानी जुगाड़ पुख्ता है।

दुकान पर देखा उनका नाम लिखा था – राजपति मौर्य। अगर इस जुगाड़ का वही प्रयोग करते हैं तो उन्हें जल्दी से जल्दी इसे पेटेण्ट करा लेना चाहिये! 😆

भारत एक जुगाड़ प्रधान देश है। जितनी छोटी जगह होगी, उतना दिमाग जुगाड़ में लगेगा – ऐसा मैंने देखा है। घर की अनेकानेक चीजें, जिन्हे शहर में बेकार समझ कर फैंक दिया जाता है, गांव या कस्बों में रिपेयर-रफू कर साल दर साल चलाई जाती हैं।

अभी हाल ही में मैंने घर के पांच बिना हेण्डल वाले पैन (पतीले) ठीक कराये हैं। कुल खर्चा आया 340 रुपये। ये पांच पैन नये खरीदे जायें तो खर्च होगा दो हजार पांच सौ रुपये।

कपड़े का रफू, जिप, कमीज का कॉलर उल्टवाना, टूटी कुर्सी को तार लगा कर चलाना – यह सब गांव में रहते मैंने करवाया है। आज उस ज्ञान में एक और डायमेंशन जुड़ गया। उपले जला कर गर्म कर जाम साइलेंसर भी ठीक कराया जा सकता है!

आदमी की जिंदगी बायोटेक्नॉलॉजी के अनुसंधान से बढ़ रही है। गैजेट्स और वस्तुओं की उम्र जिस टेक्नॉलॉजी से बढ़ती है, वह जुगाड़ है!

जय जुगाड़!


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Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring village life. Past - managed train operations of IRlys in various senior posts. Spent idle time at River Ganges. Now reverse migrated to a village Vikrampur (Katka), Bhadohi, UP. Blog: https://gyandutt.com/ Facebook, Instagram and Twitter IDs: gyandutt Facebook Page: gyanfb

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