यमुनानगर से बापा

13 अप्रेल 2023

यमुनानगर के गेस्ट हाउस (?) से सवेरे रवाना होने पर दो किमी तो उसी रास्ते पर चलना पड़ा जिसपर प्रेमसागर रात में आये थे। उसके बाद मिला हाईवे जिसपर चलते हुये कुरुक्षेत्र की ओर जाना था। यमुनानगर से कुरुक्षेत्र का भद्रकाली शक्तिपीठ 55 किमी दूर है। सवेरे प्रेमसागर का विचार एक ही दिन में वहां पंहुचने का था। वह शायद ज्यादा ही हो जाता। मैंने उन्हें सलाह दी कि रास्ते में जहां भी सम्भव हो, लोग जगह देने को तैयार मिलें, वहां रुक जायें। दौड़ लगाने की बजाय यात्रा के आनंद को प्राथमिकता दें। प्रेमसागर का कहना था – “भईया, आनंद तो ठीक है पर पॉकेट का भी ध्यान रखना है।”

पॉकेट का ध्यान रखना – यह एक एलीमेण्ट जो उनकी यात्रा में जुड़ गया है, वह यात्रा की प्रकृति को बदले दे रहा है। शाम होते होते रुकने के लिये कोई कमरा, कोई लॉज तलाशना या किसी मंदिर में भी फर्श नहीं; कमरा-बिस्तर की अपेक्षा बहुत समय और मेहनत ले लेती है।

इलाके के बारे में प्रेमसागर का कहना था कि लोग सम्पन्न हैं। लोगों के पास जमीन ज्यादा हैं और जमीन के दाम भी ज्यादा हैं। सम्पन्नता का आधार जमीन है। कोई फेक्टरी लगाने के लिये पूंजी थोड़ी सी जमीन बेच कर मिल जाती है। कई रईस लोगों के यहां फार्म हाउस हैं।

“कल एक बारात देखी भईया। उसके कुछ नहीं तो चार डीजे थे। हर एक के गाने का शोर इतना था कि क्या बज रहा था, कुछ समझ नहीं आ रहा था। इन समारोहों में पैसे का प्रदर्शन ही सम्पन्नता है। शादी में बीस-पचीस लाख प्रदर्शन में ही खर्च होते हैं। नौजवान लोग भी पजारो-फार्चूनर पसंद करते हैं। दस लाख से काम की गाड़ी तो कोई रखना चाहता ही नहीं।”

सवेरे जो चायवाला था, वह बिहार का था। उससे बात हुआ तो वह रघुनाथपुर, जिला सिवान का निकला। अच्छा आदमी था भईया।

“सवेरे जो चायवाला था, वह बिहार का था। यहां के लोगों को यह छोटा काम करने की शायद आदत या जरूरत नहीं। उससे बात हुआ तो वह रघुनाथपुर, जिला सिवान का निकला। अच्छा आदमी था भईया। उसका फोटो भी आपको भेजे हैं।”

“यहां के लोग सम्पन्न हैं, पर अच्छे व्यवहार वाले हैं। छोटा-बड़ा कोई भी मिलता है, ‘राम-राम’ बोलता है।… वैसे भईया नशा करने वाले भी कई हैं। एक नौजवान बाइक वाला अपनी बाइक रोक कर मुझसे बोला – बाबा परसाद दे दो। मैंने कहा कि भईया मेरे पास लाचीदाना-मिठाई आदि है नहीं। पर वह बोला कि वह परसाद नहीं गांजा दे दो। उसके अनुसार राह चलने वाले बाबा लोग गांजा जरूर रखते हैं!”

“भईया मैंने अपना झोला-बैग उसके सामने कर दिया – खुद ही देख लो। इसमें वैसा कुछ नहीं हैं। हम संकल्पित हैं। कोई नशा करने वाले नहीं।”

“वह नौजवान खुद ही बोला – वह तो आपकी सकल से ही लग रहा था कि गांजा वाले नहीं हो, पर पूछ लिया कि क्या पता, मिल जाये।”

दिन के नौ बजे एक फर्नीचर वाले के यहां से वीडिओ कॉल की प्रेमसागर ने। सड़क किनारे फर्नीचर और घर की सजावट की सामग्री की थोक दुकान। काफी बड़े इलाके में फैली हुई। दुकान मालिक को भी दिखाया वीडियो कॉल में।

दोपहर ढाई तीन बजे प्रेमसागर को चाय और जलपान की तलाश थी। एक जगह पूछने पर लोगों ने बताया कि कोई चाय की दुकान तो नहीं है, पर पास के मंदिर में उन्हें चाय पिला सकते हैं। वहां उन्हें चाय मिली ही, भोजन भी मिला – रोटी-दही-चावल-अचार सब। लोगों को पता चला कि प्रेमसागर द्वादश ज्योतिर्लिंग कांवर यात्रा कर चुके हैं तो उन्होने एक दिन वहां रुकने को आग्रह किया।

प्रेम और सत्कार! प्रेमसागर ने वहीं रात्रि विश्राम करने का निर्णय लिया।

“करीब चार बीघा जमीन में बना है मंदिर भईया। मैदानेश्वर महादेव। कई देवी देवता हैं मंदिर में पर महादेव तो खुले में हैं। मैं आपको फोटो भेजता हूं। उससे साफ हो जायेगा।”

मंदिर में मिले लोग ग्रामीण ही दिखते हैं। दोपहर की गर्मी में बाहर बैठ कर खिंचाये चित्र में लोगों के हाथ में बांस के पन्खे हैं। एक सज्जन दाढ़ी वाले गेरुआ पहने हैं। शायद मंदिर के प्रमुख हों वे। प्रेमसागर को भरपूर आदर देते दिखाई देते हैं वे।

चित्र में स्थान का नाम है – बापा।

मैदानेश्वर मंदिर में प्रेमसागर

आज की यात्रा छोटी और अच्छी रही। यात्रा ऐसी ही होनी चाहिये। जहां मन हो, रुक जाया जाये।

हर हर महादेव। ॐ मात्रे नम:।

प्रेमसागर की शक्तिपीठ पदयात्रा
प्रकाशित पोस्टों की सूची और लिंक के लिये पेज – शक्तिपीठ पदयात्रा देखें।
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प्रेमसागर के लिये यात्रा सहयोग करने हेतु उनका यूपीआई एड्रेस – prem12shiv@sbi
दिन – 103
कुल किलोमीटर – 3121
मैहर। प्रयागराज। विंध्याचल। वाराणसी। देवघर। नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ। दक्षिणेश्वर-कोलकाता। विभाषा (तामलुक)। सुल्तानगंज। नवगछिया। अमरदीप जी के घर। पूर्णिया। अलीगंज। भगबती। फुलबारी। जलपाईगुड़ी। कोकराझार। जोगीघोपा। गुवाहाटी। भगबती। दूसरा चरण – सहारनपुर से यमुना नगर। बापा। कुरुक्षेत्र। जालंधर। होशियारपुर। चिंतपूर्णी। ज्वाला जी। बज्रेश्वरी देवी, कांगड़ा। तीसरा चरण – वृन्दावन। डीग। बृजनगर। विराट नगर के आगे। श्री अम्बिका शक्तिपीठ। भामोद। यात्रा विराम। मामटोरीखुर्द। चोमू। फुलेरा। साम्भर किनारे। पुष्कर। प्रयाग। लोहगरा। छिवलहा। राम कोल।
शक्तिपीठ पदयात्रा

Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

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