मोरार जी मिश्र चकापुर गांव के हैं। प्रेमी सज्जन हैं। बाजार में जब भी मिलते हैं, पैलगी करते हैं और बनवारी की दुकान पर चाय पिलाने की पेशकेश करते हैं। आज भी किया।
मैंने पूछा – समोसा खरीदना है। कौन दुकान से बेहतर रहेगा?
प्रश्न में दो आशय थे। पहला यह कि मुझे बाजार की खास जानकारी नहीं है। दूसरे मैं उन्हें पूरे बाजार के लिये एक्सपर्ट मानता हूं। और एक्स्पर्ट की तरह उन्होने बताया – “इससे ले लें, या दो दुकान छोड़ कर उस वाली से। बेहतर तो उस पार फलाने की है और सबसे बढ़िया भगवान दास की है।” भगवानदास की दुकान तलाशने के लिये मुझे फटफटाना पड़ता। मैंने सामने वाले से लेना सही समझा।
अपने बारे में मोरार जी ने बताया कि गड़ौली-अगियाबीर से आ रहे हैं। एक शादी तय कराने गये थे। अभी बातचीत चल रही है। तय तमाम होने में कुछ समय लगेगा। मैने उन्हें ध्यान से देखा – ताजा हेयर डाई थी बालों में। मूछें भी चमक रही थीं। शादी के अगुआ की खुद की पर्सनालिटी भी तो आकर्षक होनी चाहिये?! 🙂
सवेरे सूर्योदय के समय ही निकले होंगे मोरार जी इस अगुआ के कार्य के लिये। सात-आठ किमी गये होंगे। मेहनत का काम! शादी तय कराना बड़ी समाज सेवा है। रंग भी अच्छा जमता है (मेरे विचार से)। पर बड़ा खटरम है। कभी कोई शादी न जम पाई तो अगुआ पर ठीकरा भी फोड़ा जा सकता है।

मोरार जी इस काम में बहुत ज्यादा नहीं लगे। कुल सात आठ शादियां कराई होंगी। “अब लड़कों की शादी करना कठिन होता जा रहा है। पहले लड़कियों की शादी कराने में मुश्किल होती थी। अब लड़कियां ज्यादा काबिल होने लगी हैं और लड़के निकम्मे। लड़की वाले भी यह समझने लगे हैं।”
समाज में हो रहे परिवर्तन के बारे में यह बड़ी जानकारी थी। हो सकता है गांवदेहात में ही ऐसा हो कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियां अब बेहतर विकेट पर होती जा रही हों। पर ज्यादा सम्भावना शहर से गांव की तरफ आते परिवर्तन की है। पितृसत्ता को चुनौती भविष्य में मिलेगी ही। गांव में अभी भी शादियां माता-पिता-अगुआ तय करा रहे हैं। जल्दी ही यह जीवनसाथी डॉट कॉम की सहायता से होने लगेगी।
मोरार जी इस काम में बहुत ज्यादा नहीं लगे। कुल सात आठ शादियां कराई होंगी। “अब लड़कों की शादी करना कठिन होता जा रहा है। पहले लड़कियों की शादी कराने में मुश्किल होती थी। अब लड़कियां ज्यादा काबिल होने लगी हैं और लड़के निकम्मे। लड़की वाले भी यह समझने लगे हैं।”
अब गर्व से सत्तर अस्सी शादियां तय कराने वाले अगुआ वाले लोग उत्तरोत्तर विलुप्तप्राय प्रजाति के जीव हो जायेंगे।
“सबसे ज्यादा शादी तय कराने वाले सज्जन आसपास में कौन होंगे? – मैने जिज्ञासा रखी।

“आपके पास समय हो तो मिलवाऊंगा। फलाने जी हैं औराई के पास के। दो सौ से ज्यादा शादियां तय करा चुके हैं।” – मोरार जी के कहा। तब तक पहचान के एक और सज्जन आ गये। मोरार जी ने उनको भी प्रणाम किया। खड़े खड़े हम लोगों की फुटपाथ मीटिंग हो गयी। मोरार जी ने चाय की दुकान पर चलने की पेशकश की। पर मुझे घर लौटने की जल्दी थी। मैने “फिर कभी” की बात कह कर अपने को फुटपाथ मीटिंग से विथड्रॉ किया।
पर समोसा खरीद कर वापसी में यह विचार तो मन में जम गया – लड़के निकम्मे होते जा रहे हैं। लड़कियों की वैल्यू मैरिज मार्केट में पुख्ता होती जा रही है। शादियों के अगुआ अभी भी हैं पर वे विलुप्त होने के कगार पर हैं। यह कामधाम ऑनलाइन वाले झटक लेंगे।