रामनगर, सब्जी मण्डी और सुरेश पटेल

सुरेश पटेल ने गंगा नदी का चित्र भेजा। विस्तार लिये जल। पूछने पर बताया कि आजकल खेत से गोभी और टमाटर निकल रहा है। सवेरे सवेरे सब्जी खेत से निकाल कर रामनगर सब्जी सट्टी जाते हैं। गंगा पार कर जाना होता है। वहीं का चित्र है।

सुरेश पटेल ने गंगा नदी का चित्र भेजा।

सब्जी उगाना, सवेरे सवेरे खेत से निकाल कर मण्डी जाना। मण्डी की किचिर पिचिर। मोलतोल। कुल पैंतीस चालीस किलोमीटर का आना-जाना। और उस दौरान गंगा नदी पार करना रामनगर के पुल से – मुझे रोचक लगा। सुरेश पटेल के लिये तो वह रुटीन होगा। शायद उसमें ड्रजरी लगती हो, रस न आता हो। पर मेरे लिये तो वह आकर्षक है।

गर्मी का मौसम है। घर से निकलना नहीं होता। फिर भी लोग निकलते हैं, काम करते हैं। हाट बाजार की गहमागहमी का अनुभव करते हैं। मैंने वह दशकों से नहीं किया। करने के प्रयास में स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। एक दिन के लिये जाना हो तो तीन चार दिन अशक्तता में नष्ट हो जाते हैं। मेरे लिये डियाक लेखन – डिजिटल यात्रा कथा लेखन ही उपयुक्त है। लोगों के अनुभव, उनके चित्र और उसके लिये पठन पाठन का सप्लीमेण्ट – यह सब ले कर जो लिखने में बनता है, वह किसी ट्रेवलॉग से खराब नहीं होता। यह जरूर है कि यात्रा खुद की जाये तो उस ट्रेवलॉग का डियाक कोई सानी नहीं। पर मेरे लिये यह भी खराब नहीं!

मैंने सुरेश से कहा कि वे रामनगर सट्टी के कुछ चित्र भेजें। आज वह उन्होने किया।

मैंने सुरेश से कहा कि वे रामनगर सट्टी के कुछ चित्र भेजें। आज वह उन्होने किया।

“रामनगर की मंडी है बाउजी यहां माल की बोली लगाने के बाद ही बिकता है।
यहां के आढतिए भगेलू मौर्या और राम लखन मौर्य है जिनके आढ़त पर हम अपना सब्जी लेकर आते हैं।” – सुरेश ने टिप्पणी भेजी चित्रों के साथ।

भगेलू मौर्य और रामलखन मौर्य के नाम से मुझे कछवां सब्जी मण्डी के बर्फी और रंगीला सोनकर की याद हो आयी। मैं वहां सब्जी मण्डी गया था। कई साल पहले। सुरेश जी को मैंने भगेलू और रामलखन मौर्य जी के बारे में चित्र और जानकारी देने का अनुरोध किया।

सुरेश वह नौजवान हैं जो गांव से शहर के सेतु की तरह हैं। जद्दोजहद करने वाले, अपने बूते पर अपना भविष्य गढ़ने वाले और उस उपलब्धि से आने वाली ऐंठ से पूरी तरह मुक्त। सुरेश की जिंदगी में एक दिन – वह लेखन मुझे अच्छा लगेगा।

सुरेश के इनपुट्स पर डियाक के प्रयोग शानदार होंगे। पाठक मिलें, न मिलें; मेरे लिये तो वह अपने आप को विस्तृत करने, नये आयाम जोड़ने का एक जरीया होगा। … भविष्य का पठन पाठन, लेखन का एक तरीका बन रहा है! और उसके एक महत्वपूर्ण तत्व की तरह हो सकते हैं सुरेश!

अभी तो मुझे उनकी सब्जी उगाने और उसे मण्डी तक ले जाने की गतिविधियों पर और जानकारी चाहिये। क्या लागत है सब्जी की, क्या भाव हैं – थोक और खुदरा। कौन कमा रहा है – किसान या आढ़तिया? किसका रिस्क ज्यादा है? कौन सब्जी उगाता है, कौन सब्जी ले जाता है, कौन सब्जी से खेलता है?! बहुत से प्रश्न हैं।

मैंं रामनगर सब्जीमण्डी पर सर्च करता हूं तो पांच सात वीडियो ठेलता है गूगल। घटिया वीडियो – जिनमें हर कदम पर खुरदरी आवाज में बंदे “आप मुझे सब्स्क्राइब करें, जानकारी के लिये अंत तक देखें” जैसे जुमले बोलते हैं और हर तीस सेकेंड में पॉप अप होते सब्स्क्राइब बटन आते हैं। कुछ काम की जानकारी नहीं उनमें। वीडियो शूटिंग का स्तर भी घटिया।

देखें, क्या बताते हैं सुरेश! उन वीडियो से कहीं बेहतर जानकारी देंगे वे! :-)

जय हो!


Published by Gyan Dutt Pandey

Exploring rural India with a curious lens and a calm heart. Once managed Indian Railways operations — now I study the rhythm of a village by the Ganges. Reverse-migrated to Vikrampur (Katka), Bhadohi, Uttar Pradesh. Writing at - gyandutt.com — reflections from a life “Beyond Seventy”. FB / Instagram / X : @gyandutt | FB Page : @gyanfb

2 thoughts on “रामनगर, सब्जी मण्डी और सुरेश पटेल

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