गांव का बालक! उसे भाव व्यक्त करना, कृतज्ञता दर्शाने को शब्द कहना सिखाया नहीं गया है। वह किसी अजनबी से सौ रुपये की चीज मिलने की कल्पना भी शायद पहले नहीं किया रहा होगा। उसका अटपटा व्यवहार शायद इसी कारण था।
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जुगेश
छोटी सी मुलकात के बाद मुझे दो चीजें समझ आईं। उसे एक जोड़ी चप्पल चाहिये। केवल उसकी चप्पल, साझे की नहीं। वह शायद मिलना आसान है। कठिन चीज है कि उसे जिंदगी में कुछ बनने के सपने चाहियें। पर सपने बोना शायद उतना आसान नहीं है।
