खेती की रहर (अरहर) थोड़ी सी मिली। एक बोरी। उसको दलवाने के लिये पत्नीजी ने दो महिलाओं को बुलाया। एक दिन उन्होने एक राउण्ड चकरी चला कर उसके टुकड़े किये। दूसरी मंजिल पर उन्होने डेरा जमाया था। चकरी चलने की आवाज गड़गड़ाती हुई दिन भर आती रही मानो आसमान में मेघ गड़गड़ा रहे हों। दालContinue reading “चकरी से दाल दलने का उपक्रम”
