आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा की प्रस्तावना


नीलकंठ और सुदामा की पहली बैठक (डिंडौरी से बरगी तक की यात्रा की भूमिका) प्रेमसागर ने डिंडौरी से पैदल चलकर चाबी गाँव में जब नर्मदा परिक्रमा को खंड-विराम दिया, तब वे सड़क मार्ग से ही चल रहे थे। डिंडौरी और जबलपुर के बीच, नर्मदा के उत्तर या दक्षिण तट की पदयात्रा अधिकांश यात्री सड़क केContinue reading “आर्मचेयर नर्मदा परिक्रमा की प्रस्तावना”

एक मिस-कॉल


जो गलती से लगी, वह दिशा बन गई नीलकंठ चिंतामणि उमादास को भूल ही गये थे। पर आज सवेरे जब फोन पर रात दो बजे की एक मिस्ड कॉल देखी, और नम्बर के आखिरी अंक 2848 पर नज़र पड़ी — तो एक धुंधली स्मृति तैर गई। “यह तो वही चित्रकूट जाने वाला यात्री लगता है,”Continue reading “एक मिस-कॉल”

उमादास


नीलकंठ थोड़ा कष्ट में थे। सर्दी में सांस की तकलीफ पहले हुआ करती थी, फिर स्थान बदलने से खत्म हो गई। तराई के इलाके में नमी की कमी नहीं होती। शायद नमी का असर था। पर अब पंद्रह साल बाद फिर से लगा कि इनहेलर ले लेना चाहिये। शशि दिल्ली में डाक्टर है। उससे फोनContinue reading “उमादास”

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