श्राद्धपक्ष और कौव्वे


मेरे घर में तीन चार कौव्वे रहते हैं। एक लंगड़ा कौआ और उसका जोड़ीदार तो तीन चार साल रहे। अब वह दिखता नहीं। शायद उम्र पूरी हो गई हो। पर उनका स्थान दूसरों ने ले लिया है। सवेरे पोर्टिको में चाय पीते हुये कौओं को रोटी-नमकीन खिलाना और उनकी बुद्धिमत्ता का अवलोकन करना हमारा नियमितContinue reading “श्राद्धपक्ष और कौव्वे”

संतोष की यात्रा


सवेरे की साइकिल सैर के दौरान वह दिखा। कमल के ताल के किनारे बैठा था। साथ में दो गठरियां, एक पानी की बड़ी बोतल जिसमें थोड़ा पानी था, एक दो थैले थे। उसकी आंखें हल्की बंद थीं। जिस तरह से बैठा था और जैसी उसकी उम्र लग रही थी – करीब पचहत्तर साल – मुझेContinue reading “संतोष की यात्रा”

आवअ तनी अरटियावा जाये गुरू!


मैने कोविड के दौरान चीनी महिला फैंग फैंग की वूहान डायरी पढ़ी। उसमें वे आपसी संवाद के लिये वीचैट की चर्चा जब तब करती हैं। वीचैट बहुधा उनकी चैट मॉडरेट कर उतार दिया करता था। पर फिर भी मुझे लगता था कि चीन के पास अपना चैट एप्प है और भारत के पास नहीं। उसमेंContinue reading “आवअ तनी अरटियावा जाये गुरू!”

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