चक्रीय ताल की दिनचर्या


आगे के जीवन के बारे में नजरिया बदला लगता है। पहले जीवन की दीर्घायु के लक्ष धुंधले लगते थे; अब उनमें स्पष्टता आती जा रही है। नकारात्मकता को चिमटी से पकड़ कर बाहर निकालने की इच्छा-शक्ति प्रबल होती जा रही है।

भोर में घर परिसर में साइकिल चलाना


एक कव्वा, शायद कव्वी; सिर झुकाये थी और दूसरा कव्वा उसकी कंघी कर रहा था। चोंच को उसके सिर और गर्दन पर फेर रहा था – बिल्कुल बालों में कंघी करने की मुद्रा में। एक दो बार ही नहीं करीब पांच मिनट तक वह करता रहा।

बेलपत्र तोड़ने वाला संजय


उस दिन संजय के घर जा कर देखा। संजय शाम को बेलपत्र तोड़ कर आया था। हेण्डपम्प पर अपना पैर-हाथ धो रहा था। उसकी बेलपत्रों की गठरियां एक ओर रखी थीं। उसकी माँ ने बताया – संजय अब रात का भोजन करेगा। फिर सो जायेगा।

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