गूगल रीडर बनाम फीड-एग्रेगेटर – कुछ मुक्त विचार


फीड एग्रेगेटर की आवश्यकता होती है विभिन्न साइट्स से निरंतर बदल रही सामग्री को एक स्थान पर एकत्रित करने की. हिन्दी एग्रेगेटर एक दिन में लगभग 100-125 अपडेटेड फीड दिखाता है. इतनी अपडेटेड फीड दिखाने के लिये तो गूगल रीडर ही सक्षम है. हां अगर पब्लिश बटन दबाते ही पोस्ट जग जाहिर होने की तलबContinue reading “गूगल रीडर बनाम फीड-एग्रेगेटर – कुछ मुक्त विचार”

मीक, लल्लू, चिरकुट और क्या?


यह हेडिंग अज़दक छाप हो गया है. उनके लेखों के शीर्षक ऐसे ही होते हैं, जिससे न सिर समझ में आये न पैर. फिर झख मार कर आप समझने के लिये उनके कंटिये * में फंस जायें. खैर, अजदक को लिंक करने का मन नहीं है. यह ठोस मेरा लेख है. एक मीक वह है,Continue reading “मीक, लल्लू, चिरकुट और क्या?”

इधर के और उधर के लोग


इधर के बारे में मुझे दशकों से मालूम है. इधर माने रेलवे – मेरा कार्य क्षेत्र. रेलवे को मिनी भारत कहते हैं. उस मे बड़े मजे से काम चल रहा था/है. यह महज एक संयोग था कि हिन्दी ब्लॉगरी के लोगों का पता चला. अब चार महीने से उधर यानि हिन्दी ब्लॉगरी के विषय मेंContinue reading “इधर के और उधर के लोग”

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