उसे गंगा किनारे देखा है। उम्र बहुत ज्यादा नहीं लगती – पच्चीस से ज्यादा न होगी। बाल काले हैं। दिमाग सरका हुआ है – पगली। एक जैकेट, अन्दर स्वेटर, नीचे सलवार-घाघरा नुमा कुछ वस्त्र पहने है। गंगा किनारे बीनती है कागज, घास फूस, लकड़ी। तट के पास एक इन्दारा (कुआं) है। उसकी जगत (चबूतरे) परContinue reading “पगली”
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हरी ऊर्जा क्रान्ति, भारत और चीन
बाजू में मैने मेकेंजी क्वाटर्ली (McKinsey Quarterly) की लेखों की विजेट लगा रखी है। पता नहीं आप में से कितने उसे देख कर उसके लेखों को पढ़ते हैं। मैं बहुधा उसके लेखों को हार्ड कापी में निकाल कर फुर्सत से पढ़ता हूं। इसमें भारत और चीन विषयक लेख भी होते हैं। भारत प्रगति कर रहाContinue reading “हरी ऊर्जा क्रान्ति, भारत और चीन”
मालगाड़ी के इंजन पर ज्ञानदत्त
इलाहाबाद में आती मालगाड़ी, जिसपर मैने फुटप्लेट निरीक्षण किया। नेपथ्य में कोहरे के अवशेष देख सकते हैं आप। यह कोई नई बात नहीं है। रेलवे इंजन पर चढ़ते उतरते तीसरे दशक का उत्तरार्ध है। पर रेलवे के बाहर इंजन पर फुटप्लेट निरीक्षण (footplate inspection) को अभिव्यक्त करने का शायद यह पहला मौका है। मुझे अस्सीContinue reading “मालगाड़ी के इंजन पर ज्ञानदत्त”
