मन्दी


मेरी पत्नी होली विषयक अनिवार्य खरीददारी करने कटरा गई थीं। आ कर बताया कि इस समय बाजार जाने में ठीक नहीं है। बेतहाशा भीड़ है। मैने यह पूछा कि क्या मन्दी का कुछ असर देखने को नहीं मिलता? उत्तर नकारात्मक था। मेरा संस्थान (रेलवे) बाजार से इन्सुलर नहीं है और मन्दी के तनाव किसी नContinue reading “मन्दी”

बिल्लू की रिक्शा खटाल


गोरखपुर में गोलघर और मोहद्दीपुर को जोड़ने वाली सड़क पर रेलवे के बंगले हैं। उनमें से एक बंगला मेरा था। सड़क के पार थी रिक्शा खटाल। रिक्शा खटाल का मालिक बिल्लू सवेरे अपने सामने मेज लगा कर बैठता था। चारखाने की तहमद पहने, सिर पर बाल नहीं पर चंद्रशेखर आजाद छाप मूंछें। आधी बढ़ी दाढ़ी,Continue reading “बिल्लू की रिक्शा खटाल”

ओल्डीज के लिये ब्लॉगिंग स्पेस


बड़े जिद्दी किस्म के लोग हैं। इन्हें अपने प्रॉविडेण्ट फण्ड और रिटायरमेण्ट का पैसा गिनना चाहिये। फेड आउट होने का उपक्रम करना चाहिये। पर ये रोज पोस्ट ठेल दे रहे हैं। ये ओल्डीज क्या लिखना चाह रहे हैं? क्या वह समाज के हित में है? क्या उसके टेकर्स हैं? मूकज्जी की वाणी एक बार खुलतीContinue reading “ओल्डीज के लिये ब्लॉगिंग स्पेस”

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