बीरबहूटी, रेड वेलवेट माइट या भगवान जी की बुढ़िया ग्रामीण परिवेश से जुडे पाठको ने तो चित्र देखकर ही इसे पहचान लिया होगा पर शहरी पाठकों के लिये इस जीव को जान पाना मुश्किल है। अभी जैसे ही मानसूनी फुहार आरम्भ होगी नदियों के आस-पास नरम मिट्टी मे लाल मखमली चादर फैल जायेगी। असंख्य छोटे-छोटेContinue reading “"भगवान की बुढ़िया" खतम होने के कगार पर”
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मच्छरों से बचाव में प्रभावी वनस्पतियां
आज की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट में श्री पंकज अवधिया मच्छरों से बचाव के लिये अनेक जैविक विकल्पों की चर्चा कर रहे हैं। ये जैविक विकल्प बहुत आकर्षक लगते हैं। मुझे अपनी ओर से कुछ जोड़ना हो तो बस यही कि आदमी सफाई पसन्द बने तथा पानी को आस-पास सड़ने न दे। बाकी आप अवधिया जीContinue reading “मच्छरों से बचाव में प्रभावी वनस्पतियां”
वनस्पतियों के सामरिक महत्व की सम्भवनायें
यह है पंकज अवधिया जी की बुधवासरीय अतिथि पोस्ट। और यह पढ़कर मुझे लगा कि वनस्पति जगत तिलस्म से कमतर नहीं है! जरा आप पढ़ कर तो देखें। पंकज जी की पहले की पोस्टों के लिये पंकज अवधिया लेबल पर क्लिक करें। क्या ऐसा सम्भव है कि आप सात दिनों तक कडी मेहनत करते रहेंContinue reading “वनस्पतियों के सामरिक महत्व की सम्भवनायें”
