जल्लदवा, वह मोटा, गठे शरीर वाला प्राणी जो सवेरे सवेरे अपने घर से निषादघाट पर मुंह में मुखारी दबाये आता है और घाट पर आते ही उल्टी नाव के बगल में अपनी कमीज (जिसके बटन पहले से खुले होते हैं) उतार, लुंगी खोल कच्छे की अपनी नैसर्गिग पोशाक में आ जाता है, वह हमारे आनेContinue reading “जल्लदवा प्वॉइण्ट, जाल और हाई स्कूल परिणाम”
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रेंवा
रात गहराती है तो बोलता है रेंवा। मध्यमा उंगली जितना कीड़ा है यह। रात का सन्नाटा हो तो यह आवाज सुनाई देती है। झनझन की आवाज। रेंवा बोलता है, मानो रात बोलती है। गंगा की रेत में एक लम्बी ट्रेल मिली। मानो कोई जीव बहुत लम्बी यात्रा कर के गया हो। करीब आधा किलोमीटर तकContinue reading “रेंवा”
झाड़ू
कोई लड़का घाट की सीढ़ियों पर ट्यूबलाइट का कांच फोड़ता हुआ चला गया था। कांच बिखरा था। इसी मार्ग से नंगे पैर स्नानार्थी जाते आते हैं गंगा तट पर। किसी के पैर में चुभ जाये यह कांच तो सेप्टिक हो जाये। सवेरे घूमने जाते समय यह मैने देखा। बगल से निकल गये मैं और मेरीContinue reading “झाड़ू”
