मैं रेलवे स्टेशन पर जीने वाले बच्चों पर किये गये एक सर्वेक्षण के आंकड़ों से माथापच्ची कर रहा था. जिस बात ने मुझे सबसे ज्यादा चौंकाया; वह थी कि 68% बच्चे अपनी स्थिति से संतुष्ट थे. बुनियादी जरूरतों के अभाव, रोगों की बहुतायत, पुलीस का त्रास, भविष्य की अनिश्चितता आदि के बावजूद वे अगर संतुष्टContinue reading “असली खुशी की दस कुंजियां”
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नमामि देवि नर्मदे – गंगा किनारे नर्मदा की याद
मैंने अपने जीवन का बहुमूल्य भाग नर्मदा के सानिध्य में व्यतीत किया है। रतलाम मे रहते हुये ओँकारेश्वर रोड स्टेशन से अनेक बार गुजरा हूँ। पर्वों पर ओंकारेश्वर के लिए विशेष रेल गाडियां चलाना और ओंकारेश्वर रोड स्टेशन पर सुविधाएं देखना मेरे कार्य क्षेत्र में आता था। नर्मदा की पतली धारा और वर्षा में उफनतीContinue reading “नमामि देवि नर्मदे – गंगा किनारे नर्मदा की याद”
किस्सा पांडे सीताराम सूबेदार और मधुकर उपाध्याय
बहुत पहले जब बीबीसी सुना करता था, मधुकर उपाध्याय अत्यंत प्रिय आवाज हुआ करती थी. फिर उनकी किताब किस्सा पांडे सीताराम सूबेदार की समीक्षा वर्ष २००० मे रतलाम में पढी। समीक्षा इतनी रोचक लगी कि वह पुस्तक दिल्ली से फ्रंटियर मेल के कंडक्टर से मंगवाई। पहले बात मधुकर जी की कर ली जाये। मधुकर जीContinue reading “किस्सा पांडे सीताराम सूबेदार और मधुकर उपाध्याय”
