मैं पिछले दिनों पढ़ी दो पोस्टों का जिक्र करना चाहूंगा, जो मुझे रिमोर्स(remorse)-गियर में डाल गयीं. इनकी टिप्पणियों में मेरी उपस्थिति नहीं है. उससे मैं बहस का हिस्सा बनता. पर जो रिमोर्स की अनुभूति हो रही है – वह तो बहस हर्गिज नहीं चाहती. पहली पोस्ट महाशक्ति की है – क्या गांधी को राष्ट्रपिता काContinue reading “दो चेतावनी देती पोस्टें”
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व्यंगकारोँ की टोली की बढ़ती जनसंख्या का खतरा :-)
जब से शिवकुमार मिश्र की सेतुसमुद्रम पर चिठ्ठी वाली पोस्ट चमकी है, तबसे हमें अपनी दुकानदारी पर खतरा लगने लगा है. उस पोस्ट पर आलोक पुराणिक ने टिप्पणी कर कह ही दिया है कि व्यंगकारों की ***टोली में जन संख्या बढ़ रही है और शिवकुमार को हमारे कुसंग से प्रभावित नहीं होना चाहिये. शिवकुमार मिश्रContinue reading “व्यंगकारोँ की टोली की बढ़ती जनसंख्या का खतरा :-)”
यह चलती ट्रेन में लिखी गयी पोस्ट है!
मुझे २३९७, महाबोधि एक्स्प्रेस से एक दिन के लिये दिल्ली जाना पड़ रहा है1. चलती ट्रेन में कागज पर कलम या पेन्सिल से लिखना कठिन काम है. पर जब आपके पास कम्प्यूटर की सुविधा और सैलून का एकान्त हो – तब लेखन सम्भव है. साथ में आपके पास ऑफलाइन लिखने के लिये विण्डोज लाइवराइटर होContinue reading “यह चलती ट्रेन में लिखी गयी पोस्ट है!”
