मक्खियां और तीसमारखां


अरुण द्वारा दिये लिंक पर जा कर मारी गई मक्खियां अरुण अरोड़ा ने एक मक्खी-मारक प्रोग्राम का लिंक दिया। आप भी ट्राई करें। मैं सामान्यत: अंगूठा चूसा (पढ़ें सॉलिटायर खेलना) करता था। पर यह ट्राई किया तो बहुत देर तक एक भी मक्खी न मरी। फिर फ्लाई स्वेटर का एंगल सेट हो गया तो मरनेContinue reading “मक्खियां और तीसमारखां”

हिन्दी तो मती सिखाओ जी!


हिन्दी ब्लॉगिंग जमावड़े में एक सज्जन लठ्ठ ले के पिल पड़े कि अरविन्द मिश्र जी का पावर प्वाइण्ट अंग्रेजी में बना था। मिश्रजी ने चेस्ट (chaste – संयत) हिन्दी में सुन्दर/स्तरीय/सामयिक बोला था। ऐसे में जब हिन्दी वाले यह चिरकुटई करते हैं तो मन में इमली घुल जाती है। जुगाल-तत्व: मुझे नहीं लगता कि हिन्दीContinue reading “हिन्दी तो मती सिखाओ जी!”

चाय की दुकान पर ब्लॉग-विमर्श


इलाहाबाद में ब्लॉगिंग पर गोष्ठी हुई। युवा लोगों द्वारा बड़ा ही प्रोफेशनली मैनेज्ड कार्यक्रम। गड़बड़ सिर्फ हम नॉट सो यंग लोगों ने अपने माइक-मोह से की। माइक मोह बहुत गलत टाइप का मोह है। माइक आपको अचानक सर्वज्ञ होने का सम्मोहन करता है। आपको अच्छे भले आदमी को कचरा करवाना है तो उसे एक माइकContinue reading “चाय की दुकान पर ब्लॉग-विमर्श”

Design a site like this with WordPress.com
Get started