मनीष बताते हैं कि ये नदियां – और कई नदियां हैं जो नर्मदा माई में जा कर मिल जाती हैं – उनके बचपन में सदानीरा हुआ करती थीं। …अब उनमें में गर्मियों में पानी नहीं रहता; रेत रहती है।
Category Archives: यात्रा
कंकर में शंकर और नरसिंहपुर से आगे
पता नहीं भोलेनाथ किसपर प्रसन्न होते हैं; पर मुझे भोलेनाथ की ओर से कांवर यात्रा का अंतिम परीक्षा प्रश्नपत्र बनाने का चांस मिलता तो मैं एक ही प्रश्न उसमें रखता – क्या तुमने यात्रा के दौरान मुझे बाहरी दुनियां में देखा? देखा तो कितना देखा? किसका अनुशासन ज्यादा है और किसकी उन्मुक्तता ज्यादा है –Continue reading “कंकर में शंकर और नरसिंहपुर से आगे”
गोटेगांव से नरसिंहपुर और मुन्ना खान की चाय
“मैं कांवर दूंगा उठाने को अगर तुम मुझे चाचा जी या अंकल जी कहोगी। बाबा या महराज नहीं हूं मैं।” – प्रेमसागर ने कहा। उन्हें विदा करने के लिये बहुत से लोग सड़क पर आये। करीब तीन किमी साथ चले।
